सरकारी खर्च से बनें अधिवक्ता चैंबर, न्याय व्यवस्था होगी मजबूत

देहरादून। अदालतों में वकीलों के लिए सरकारी खर्च से चैंबर (कमरे) बनवाना सिर्फ उनकी सुविधा नहीं, बल्कि जनता के हित में जरूरी कदम माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर वकीलों को अपने मुवक्किल से बात करने और परामर्श देने के लिए सुरक्षित जगह मिले, तो न्याय देने की प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और भरोसेमंद बन सकती है।
संविधान का मकसद है कि हर व्यक्ति को सस्ता और निष्पक्ष न्याय मिले। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत सिर्फ प्रशिक्षित वकील ही अदालत में केस लड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि वकील सिर्फ अपने मुवक्किल के नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र के अधिकारी होते हैं।
विदेशों में बेहतर सुविधाएँ, भारत में कमी
अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों में अदालत परिसरों में वकीलों और वादियों के लिए आधुनिक सुविधाएँ होती हैं—जैसे वाई-फाई, कानूनी पुस्तकालय, वीडियो लिंक, सुरक्षित प्रतीक्षा स्थल और निजी बातचीत के कमरे। वहीं भारत में अभी तक ऐसी सुविधाएँ अधिकतर जगहों पर नहीं हैं, जिससे वकीलों और वादियों दोनों को परेशानी होती है।
देहरादून कोर्ट परिसर में बड़ी जरूरत
देहरादून के नए कोर्ट परिसर में करीब दो हजार वकीलों के लिए चैंबरों की जरूरत है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 90 करोड़ रुपये बताई गई है, जो किसी बड़े सरकारी प्रोजेक्ट के मुकाबले बहुत कम है। इसके बावजूद सरकार की तरफ से अब तक कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई है। वकीलों का कहना है कि यह खर्च खुद उठाना अनुचित है, क्योंकि यह निर्माण जनता के हित और न्याय प्रणाली की मजबूती से जुड़ा है।
गोपनीयता और निष्पक्ष सुनवाई पर असर
कानून के अनुसार, वकील और मुवक्किल के बीच की बातचीत गोपनीय होती है। लेकिन अगर मिलने के लिए निजी जगह न हो, तो वादी की निजता और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रभावित होता है। अदालत परिसर में वकीलों के चैंबर होने से यह गोपनीयता सुरक्षित रह सकती है।
जनहित में जरूरी कदम
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी खर्च से अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनवाना न्यायिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इससे वकीलों को बेहतर माहौल में काम करने का अवसर मिलेगा और जनता को तेज़ व गुणवत्तापूर्ण न्याय मिल सकेगा।
सरकार से पहल की अपील
अधिवक्ता संघों ने सरकार से मांग की है कि इस दिशा में जल्द ठोस कदम उठाए जाएँ ताकि अदालतों का माहौल आधुनिक, सक्षम और जनता के हित में हो सके।
