उत्तराखंड पंचायत चुनाव, न बीजेपी हारी न कांग्रेस, जीत का ढोल—इधर भी बजा और उधर भी

देहरादून। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं। सूबे के लोगों ने इस चुनाव में जिस तरह की सूझबूझ का परिचय दिया है और पढ़े लिखे युवाओं पर अपना भरोसा जताया है वह सूबे की भावी राजनीति को नई दिशा देगा।
यह अलग बात है कि भाजपा के नेता इस चुनाव परिणामों पर जश्न मना रहे हैं और खूब ढोल भी बजा रहे हैं लेकिन चुनाव परिणाम उनकी सोच के अनुकूल नहीं रहे हैं। यही कारण है कि अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कह रहे हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों के अधिकांश पदों पर भाजपा प्रत्याशी जीतेंगे क्योंकि अधिकांश निर्दलीय जो चुनाव जीते हैं वह भाजपा के साथी हैं। उधर जश्न कांग्रेस मुख्यालय में भी मनाया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि जो नतीजे आए हैं वह अत्यंत ही सुखद है। सरकार और चुनाव आयोग की तमाम कोशिशोंं के बाद भी कांग्रेस का प्रदर्शन अत्यंत ही बेहतर रहा है। तथा इन नतीजो से साफ हो चुका है कि जनता भाजपा के पक्ष में नहीं है और 2027 के चुनाव में सूबे में कांग्रेस की सरकार बनेगी। बात अगर जिला पंचायत की 358 सीटों की, की जाए तो भाजपा ने 320 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे जिनमें से केवल 115 प्रत्याशी ही जीत पाए हैं जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से 72 प्रत्याशी जीते हैं। यही कारण है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 120 निर्दलीय विजयी प्रत्याशियों की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होने वाली है। जिसके पाले में अधिक निर्दलीय खड़े होंगे जिला पंचायत अध्यक्षों की कुर्सी पर उस दल का दबदबा रहेगा। ठीक वैसे ही स्थिति क्षेत्र पंचायत सदस्यों की रही है जिसके लिए अब तक 2977 में से 2934 सीटों पर परिणाम आ चुके हैं। भले ही भाजपा अध्यक्ष भट्ट का दावा हो कि प्रधान पदों पर भाजपा के 80 फ़ीसदी उम्मीदवार जीते हो लेकिन इस चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को आशातीत सफलता नहीं मिल सकी है। भाजपा के तमाम दिग्गज प्रत्याशी और भाजपा नेताओं के परिजन जो जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक पदों के लिए चुनाव से पूर्व अपनी दावेदारी ठोक रहे थे वह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी नहीं जीत पाए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ऐसी लंबी सूची है जो अपने परिजनों को छोटी सरकार का भी चुनाव नहीं जिता सके। जिसमें पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी, विधायक सरिता आर्य के बेटे राहुल आर्य, विधायक महंत दिलीप की पत्नी, राम सिंह कैड़ा के भाई की पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बेला भी इस चुनाव में हार गई जो फिर अध्यक्ष बनने का सपना संजोय बैठी थी। हां बिशन सिंह चुफाल की बेटी जरूर चुनाव जीत गई। जबकि कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह अपने बेटे को चुनाव जिताने में सफल रहे। मुख्यमंत्री धामी ने सभी विजयी प्रत्याशियों को जीत की शुभकामनाएं दी है।