उत्तराखण्ड

सैनिकों और शहीदों के परिजनों का अपमान —”विनाश काले विपरीत बुद्धि” – गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून।उत्तराखंड की रजत जयंती समारोह से ठीक एक दिन पहले धामी सरकार ने जिस तरह का अमर्यादित और अपमानजनक व्यवहार हमारे सैनिकों एवं शहीदों के परिजनों के साथ किया है, वह पूरे सैन्य प्रधान प्रदेश के सम्मान पर गहरी चोट है। यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।
दसौनी ने बताया कि आमंत्रण पत्र में बैठने की जो 14 श्रेणियां बनाई गई हैं, उनमें “पूर्व सैनिकों” और “शहीदों के परिजनों” को नीचे से दूसरी यानी 13वीं श्रेणी में रखा गया है — और उनसे ऊपर “बिज़नेसमैन” को प्राथमिकता दी गई है। यह केवल एक सूची नहीं, बल्कि यह धामी सरकार की मानसिकता और प्राथमिकताओं का आईना है।
गरिमा ने आक्रोशित होते हुए कहा कि एक ऐसे प्रदेश में जहां हर घर से एक सैनिक देश की सेवा में है, जहां माताएं अपने बेटों को तिरंगे में लिपटने का साहस लेकर विदा करती हैं वहां की सरकार द्वारा सैनिकों को इस तरह हाशिए पर डालना अक्षम्य अपराध है।
दसौनी ने कहा कि यह वही मुख्यमंत्री हैं जो स्वयं को “सैनिक पुत्र” कहने में गर्व महसूस करते हैं, लेकिन आज उनके शासन में सैनिकों का अपमान खुलेआम हो रहा है।
इस अक्षम्य कृत्य के लिए सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों को सैनिकों और शहीद परिजनों से सार्वजनिक माफ़ी मांगनी चाहिए।
गरिमा ने कहा कि चुनावों में तो भाजपा को सैनिक याद आते हैं परंतु सम्मान देते वक्त उन्हें आखिरी पायदान में लुढ़का दिया जाता है।गरिमा ने कहा कि कार्यक्रम में सभी सैन्य परिवारों को सम्मानपूर्वक आमंत्रित कर उन्हें प्रथम पंक्ति में स्थान दिया जाना चाहिए था।
गरिमा ने कहा कि सैनिकों का स्वाभिमान किसी भी कुर्सी या पद से बड़ा होता है।
आपके चंद चाटुकार भले ही आंख मूंदकर इस कार्यक्रम में जाएं, लेकिन उत्तराखंड का असली फौजी समाज इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा रहेगा।
गरिमा ने कहा कि विनाश काले विपरीत बुद्धि — धामी सरकार ने आज इस कहावत को सच कर दिखाया है।

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