*सुर्पणखा की लक्ष्मण ने काटी नाक, पंचवटी से सीता जी का हरण कर ले गया रावण*
कैराना(शामली)। कस्बे के गौऊशाला भवन में आयोजित श्रीरामलीला महोत्सव के दसवें दिन सूर्पनखा की नाक काटना खर दुखन वध सीता हरण ओर जटायू उद्गार, लीला का मंचन किया गया। लीला का शुभारंभ भाजपा जिला महामंत्री दामोदर सैनी, संजीव जैन, पूर्व चेयरमैन हाजी अनवर हसन, अनम हसन, अतुल मित्तल भाजपा मंडल अध्यक्ष ओर मनोज मित्तल शास्त्री स्वीट्स ने द्वीप प्रज्वलित कर किया l श्रीरामलीला देखने के लिए दर्शकों की भीड़ बढ़ रही l प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि रावण की बहन सूर्पणखा पंचवटी में जाकर जब श्रीराम चंद्र, सीता और लक्ष्मण के साथ दुर्व्यवहार करती है और राम लक्ष्मण को अपनी ओर आकर्षित करने का दबाव बनाती है तो क्रोधित लक्ष्मण सूर्पणखा की नाक काट देता है। सूर्पणखा उनसे बदला लेने के लिए राक्षस खर व दूषण के साथ अन्य राक्षसों को भेज देती है, जहां श्रीरामचंद्र अपने बाण चलाकर उन सब का वध कर देते हैं।सीनरी डायरेक्टर सुनील कुमार टिल्लू ने शानदार पंचवटी की सीनरी लगाई l जब खर दूषण के वध की सूचना रावण को प्राप्त होती है तो रावण की सेना उन दोनों का वध करने की अनुमति मांगती है तब रावण को याद आता है कि जिसने खरदूषण को मारा है वह नारायण के सिवा कोई दूसरा नहीं हो सकता तो वह अपने कुल का उद्धार करने के लिए उनसे बेर करने का विचार करता है और सीता का हरण करके लाने के लिए मारीच को पंचवटी में हिरण बनकर भेजने का आदेश देता है l एक सुंदर सोने जैसा मृग माता सीता को दिखाई पड़ता है। उसे देखकर सीताजी भगवान राम से कहती हैं कि हे स्वामी इसे पकड़कर ले आइए। भगवान राम उस मृग को पकड़ने वन में चल देते हैं।
मृग आगे आगे भागता है और तीर कमान लेकर भगवान राम उसके पीछे चलते हैं। मौका पाकर भगवान राम बाण चला देते हैं। इससे उसके मुंह से राम-राम की आवाज निकलती है जो कि माता सीता के कानों तक पहुंचती है।
इधर, सीता जी लक्ष्मण से कहती है कि है लक्ष्मण मेरे स्वामी किसी संकट में हैं। आप जाकर पता लगाओ, लक्ष्मण जी कहते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता तब, सीता जी के कटु वचन बोलने पर लक्ष्मण जी एक रेखा खींचकर कहते हैं कि आप इससे बाहर मत निकलना मैं जाता हूं। इसके भीतर जो भी जाएगा वह भस्म हो जाएगा। इस प्रकार लक्ष्मण वन की ओर चल देते हैं।
इधर साधु का वेश धारण कर लंकापति रावण माता सीता के पास आता है और लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने के लिए कहता है। जैसे ही लक्ष्मण रेखा को लांघ कर माता सीता बाहर आती हैं। वैसे ही रावण अपने असली रूप में आ जाता है। इसके बाद आकाश मार्ग से अपने पुष्पक विमान के द्वारा माता सीता का हरण कर ले जाता है।
वहीं रास्ते में जटायु रावण को मुंह मारकर रोकने का प्रयास करता है तो रावण उसके पंख काटकर घायल कर देता है। ओर रावण माता सीता को सोने की लंका ले जाता है। वहीं जब रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी सीता को खोजने के लिए निकल पड़ते हैं तो रास्ते में उन्हें घायल जटायु मिलता है और रामचंद्र जी को पूरा वृतांत बताता है तब रामचंद्र जी जटायु का उद्धार करते हैं और सीता जी की खोज में निकल जाते हैं l इस लीला को देखने के लिए बड़ी संख्या में शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र से लोग पहुंचे थे। राम का अभिनय सतीश प्रजापत लक्ष्मण जी का राकेश प्रजापति सीता जी शिवम गोयल रावण शगुन मित्तल एडवोकेट मारीच अनमोल शर्मा खर अभिषेक भारद्वाज दूषण सोनू कश्यप स्वरूप नका पुनीत गोयल मेघनाथ आशीष सैनी जटायु विराट नामदेव ने किया।इस अवसर पर रामलीला कमेटी के सचिव आलोक गर्ग, कोषाध्यक्ष संजू वर्मा, रोहित, प्रमोद गोयल, डाक्टर रामकुमार गुप्ता अतुल कुमार गर्ग, सुशील कुमार सिंघल, शगुन मित्तल एडवोकेट सभासद, राकेश गर्ग, राकेश सिंघल डिंपल अग्रवाल डॉक्टर पंकज पवन जैन , राकेश प्रजापत राजेश नामदेव ,पुनीत कुमार गोयल, अभिषेक भारद्वाज, मनोज कुमार मित्तल सोनू नेता,अभिषेक गोयल, विजय नारायण, अनिल गोयल, सुनील कुमार टिल्लू ,आशीष सैनी, अनमोल शर्मा, अमन गोयल, विराट नामदेव, सुशील सिंघल, आशीष नामदेव, शिवम गोयल, अभिषेक गोयल, अश्विन सिंघल, नरेश सचिन शर्मा आदि मौजूद रहे l इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से चौकी प्रभारी किला गेट विनोद कुमार राघव के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात रहा ओर पालिका की ओर से विशेष सफाई व्यवस्था कराते हुए कली चुने आदि की व्यवस्था कराई गई।
रिर्पोट : सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।