उत्तराखण्डधर्म-कर्म

चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के समाधि दिवस पर आचार्य श्री को किया नमन

जैन सद्भावना परिषद द्वारा श्री दिगंबर जैन मंदिर सरनीमल हाउस में कार्यक्रम आयोजित

देहरादून 7 सितंबर । जैन सद्भावना परिषद देहरादून द्वारा श्री दिगंबर जैन मंदिर सरनीमल हाउस पर आयोजित कार्यक्रम में दिगंबर जैन परंपरा को उत्तर भारत में पुनर्जीवित करने वाले चारित्र चक्रवर्ती परम पूज्य आचार्य श्री शांति सागर जी महा मुनिराज को श्रद्धा स्वरूप नमन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अभिनंदन प्रसाद जैन ने की तथा संचालन कार्यक्रम संयोजक श्री पंकज जैन द्वारा किया गया, कार्यक्रम का प्रारंभ महामंत्र णमोकार के पाठ से किया गया।
डॉ संजीव जैन ने आचार्य श्री को नमन करते हुए बताया कि आचार्य श्री का जन्म वर्ष 1872 मैं हुआ तथा समाधि वर्ष 1955 मे हुई। शांतिसागर जी ने उत्तर भारत में पारंपरिक दिगंबर प्रथाओं की शिक्षा और अभ्यास को पुनर्जीवित किया । धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने और कई तीर्थयात्राओं से गुजरने के बाद शांतिसागर जी ने अपना जीवन धर्म को समर्पित करने का फैसला किया ।
जैन सद्भावना परिषद के मुख्य संयोजक श्री सुनील कुमार जैन ने कहा कि आचार्य शांति सागर जी महाराज ने ब्रिटिश राज में दिगंबर संतों पर लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की। 8 सितंबर 1955 को आचार्य शांतिसागर जी ने 35वें/36वें दिन उपवास के बाद उत्कर्ष समाधिमरण प्राप्त किया।
श्री सतीश चंद जैन ने आचार्य श्री को नमन करते हुए बताया कि आचार्य विद्यासागर जी के गुरु आचार्य ज्ञानसागर जी की दीक्षा भी आचार्य शिवसागर जी से हुई थी।

श्रीमती बीना जैन ने बताया कि स्वामी भूतबली द्वारा समय-समय पर सुने गए उपदेशों के शास्त्र जो ताम्रपत्र पर लिखे गए थे वह नष्ट हो रहे थे आचार्य श्री ने पूरे ग्रंथ को ताम्रपत्रों पर पुनः लिखवाया और यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था। आचार्य को अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्होंने सभी विपरीत परिस्थितियों का निर्भयता, धैर्य और सहनशीलता के साथ सामना किया।

श्री राकेश कुमार जैन ने बताया कि किस प्रकार समय-समय पर आचार्य श्री को शारीरिक कष्ट भी हुए किंतु उन्होंने अपना संयम बनाए रखा एवं दिगंबर की परंपरा पर अडीग होकर कर चलते रहे।
आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज एक आदर्श दिगंबर जैन संत थे, जिन्होंने लगभग चालीस वर्षों तक कठोर व्रतों का पालन किया और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया। उनका जीवन सभी के लिए एक प्रकाश स्तंभ था आज उनके समाधि दिवस की पूर्व संध्या पर हम आचार्य श्री द्वारा हम सब पर किए गए उपकार हेतु उन्हें सादर नमन करते है।
इसके उपरांत सामूहिक आरती की गई।
कार्यक्रम में अनिल कुमार जैन,विनय कुमार जैन एडवोकेट राकेश कुमार जैन अरविंद कुमार जैन डॉक्टर रोहित जैन नीरज जैन प्रशांत जैन श्रीमती बबीता जैन श्रीमती अलका जैन श्रीमती अनुपमा जैन श्रीमती मोनू जैन सहित अनेको महिलाओं एवं पुरुषों ने भाग लेकर आचार्य श्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

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