झिंझाना। चौतरा, बिड़ौली और चौसाना क्षेत्र में अवैध रेत खनन का काला कारोबार दिन-रात जारी है। खनन विभाग की लापरवाही और पुलिस-प्रशासन की चुप्पी ने माफियाओं को इतना बेखौफ बना दिया है कि अब वे पत्रकारों को भी धमकाने से नहीं चूक रहे। हाल ही में जब कुछ पत्रकारों ने यमुना नदी से हो रहे अवैध खनन की कवरेज करने की कोशिश की, तो माफिया समर्थित पिकअप चालकों ने न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि जान से मारने की धमकी तक दे डाली।
क्या प्रशासन माफियाओं के दबाव में है ?
*खनन विभाग की नाकामी से फल-फूल रहा अवैध कारोबार*
यमुना नदी से रेत निकालने के लिए माफियाओं ने नया तरीका अपनाया है। अब वे बड़े ट्रकों की जगह पिकअप गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आसानी से पुलिस की नजरों से बचकर तस्करी कर सकें।
स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन विभाग की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी मात्रा में अवैध खनन संभव नहीं है।
*क्या खनन विभाग माफियाओं से मिला हुआ है* ?
*अगर नहीं, तो अब तक अवैध खनन पर रोक क्यों नहीं लगी ?*
*क्या अवैध खनन से होने वाला मुनाफा प्रशासन को भी पहुंचता है ?*
यमुना नदी के किनारे से रोजाना दर्जनों पिकअप में रेत भरकर तस्करी की जा रही है, लेकिन खनन विभाग इस अवैध कारोबार को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है।
*पत्रकारों को कवरेज के दौरान मिली धमकी*
जब कुछ पत्रकारों ने इस अवैध कारोबार की सच्चाई उजागर करने की कोशिश की, तो माफिया समर्थित पिकअप चालकों ने पहले बदसलूकी की और फिर जान से मारने की धमकी दी।
*अब पत्रकारों का कहना है कि –
माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम पत्रकारों को धमकाने से नहीं डरते।
*क्या प्रशासन की शिथिलता माफियाओं को बढ़ावा दे रही है?*
*क्या पत्रकारों की सुरक्षा सिर्फ भाषणों तक सीमित है?*
*पुलिस-प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल*
झिंझाना, चौतरा, बिड़ौली और चौसाना क्षेत्र में पुलिस की रात-दिन की गश्त के बावजूद अवैध खनन बदस्तूर जारी है।
*क्या पुलिस को इस अवैध खनन की जानकारी नहीं है?
*अगर जानकारी है, तो अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई?*
*क्या माफियाओं को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है?*
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस चाहती, तो इस अवैध कारोबार पर अब तक रोक लगाई जा सकती थी, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने माफियाओं को खुली छूट दे रखी है।
*पत्रकारों की मांग—आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो*
अवैध खनन की सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों ने प्रशासन से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:
*1. पत्रकारों को धमकी देने वालों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए।*
*2. चौतरा, बिड़ौली और चौसाना क्षेत्र में अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए।*
*3. खनन विभाग और पुलिस प्रशासन की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।*
*सरकार से उम्मीद—सुरक्षा और न्याय केवल गिरफ्तारी*
पत्रकारों का कहना है कि अगर जल्द ही माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाएंगे।
क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप पत्रकारों को न्याय मिलेगा, या फिर माफिया ऐसे ही बेखौफ रहेंगे ?
रिर्पोट : शकील राणा के साथ सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।