भण्डारे के साथ भागवत कथा ने लिया विश्राम

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देहरादून 27 दिसंबर। मानव जीवन आत्म विद्या के सेवन का सुअवसर है, जो व्यक्ति इस सुअवसर का लाभ उठाता है उसे ही बुद्धिमान कहा जाता है, जीव आत्म स्वरुप है उसके लिए न जन्म है और न मरण है जन्म मरण केवल आत्मा के बाह्य आवरण हैं जो केवल देह पर लागू होते हैं जन्म मानो नए वस्त्र धारण करना और मरण उन वस्त्रों को उतार देना है।
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई जी ने मालदेवता खैरी मानसिंह वाला में श्रीमद्भागवत महापुराण के समापन दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म का पथ वास्तव में स्व स्वरूप साक्षात्कार करके मोक्ष पा सकता है।
आचार्य ममगाई जी ने कहा कि ज्ञानी वही है जो किसी का तिरस्कार नही करता और जो जीव मात्र से प्रेम करता है गलत आचरण व्यवहार से मनुष्य का पुरुस्वार्थ बिगड़ जाता है दैनिक कार्यों में सदाचार की मर्यादा का जितना अधिक पालन किया जाता है उतना ही अधिक वह विकसित होता है तथा मानव के जीवन मे प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता जाएगा ईश्वर जीव से मात्र स्वस्थ स्वस्थ मन एवम समर्पित श्रद्धा की अपेक्षा करते हैं, तभी जीव का ब्रह्म से मिलन सम्भव है परमात्मा की कृपा से ही उत्तम अवसर और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है समय एवम सम्पत्ति का प्रयोग करने वाला ही देव कोटि में आता है। समय सम्पति का दुरुपयोग करने वाला अधम की श्रेणी में आता है किसी भी परिस्थिति सुख दुख में परमात्मा को विस्मृत नही करना चाहिए। निंदा को भी सहन कर हम उन्नति कर सकते हैं ।यदि हमारे विचार सकारात्मक हों धर्म सम्पूर्ण सृष्टि के जीव मात्र को परस्पर जोड़ने का कार्य करता है जो समाज मे बिघटन करे वह धार्मिक नही हो सकता है ।
कथा के समापन दिवस आज पंचम दिन विशेस रूप से सोहनलाल ममगाई,रोशनलाल ममगाई, सुंदरलाल ममगाई,कमली भट्ट,किसन सिंह नेगी,सुलोचना राणा सूरत सिंह नेगी,विरेन्द्र सिंह मिया,प्रदेश सचिव रमेश ममगाई, रामप्रसाद ममगाई, राजेश ममगाई, अजय चौहान,सोभन जवाड़ी (प्रधान) अरुण चौहान, खिलानंद ममगाई,सत्य प्रसाद भट्ट,विसंभरदत्त उनियाल,राजेंद्र चौहान,(पूर्व प्रधान)आनंद सिंह नेगी जी,सुरेश कैंतुरा,जयपाल पंवार,श्रीमती बसंती देवी, श्रीमती पुष्पा देवी,श्रीमती गीता देवी,उर्मिला ममगाई, लक्ष्मी ममगाई,मंजू ममगाई राजेश,नरेश,दिनेश, मुकेश गणेश,अंकित,देवांक,प्रशांत,हिमांशु ममगाई, रेंजर देवेंद्र काला जी,रघुवीर सिंह जवाडी,विजय पुंडीर,आदि भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।