शिव बारात मे जमकर नाचे भक्त जन कोई बने बाराती कोई बने घराती

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“भक्तो के वशिभूत होकर दुख दूर कर दर्शन देते है भगवान शंकर क्षण मे रुष्ट व पल मे मान जाना हलाहल विष पीना दुनिया की बुराई को कंठ मे लेकर नीलकंठ कहलाये भगवान शंकर”

देहरादून 19 जुलाई ।अनारवाला मे भद्रकाली मंदिर समिति द्वारा आयोजित् शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस पर ज्योतिषपीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाई जी ने व्यक्त करते हुए कहा। जोहड़ी गावं नया गावं गुच्छू पानी क्षेत्र से प्रतिदिन लोग प्रातः कालीन सत्र मे पूजा कर रहे है। सांय कालीन कथा मे भक्तो की भीड़ उमड़ रही है शंकर जी का काला नाग् गले मे धारण करना काला नाग चिर समाधि का प्रतीक है सती के मरणोपरांत गंगावतरण हिमालय की तलहटी मे पुत्री सहित हिमालय मे जाना शंकर जी ने हिमालय को कहा मै प्रकृति रहित स्तिथ रहता हूं ,तब पार्वती ने कहा प्रकृति से बद्ध सारा संसार व उसके कार्य है यदि आप प्रकृति से परे हो तो तपस्या क्यू करते हो एकांत व तप की आवश्यक्ता क्या है आप निज को नही पहचान पा रहे हो जब तक देह धारियों के इन्द्रिय गोचर हो जाता है तब तक बुद्धि से ज्ञानियों को प्रकृति का कार्य जानना उचित है मेरे बिना आप निरीह हो शिव जी ने कहा आप इन सांख्य के अनुसार वचन कहती हो तो हर दिन मेरी सेवा करो शिव ने अपना ज्ञान चक्षु खोल काम को भष्म किया नारद जी के कहने पर तीन हज़ार वर्ष तपस्या करने पर शिव जी ने पार्वती की परीक्षा लेकर पार्वती से विवाह किया शिव त्रिनेत्र धारी है,जो काम को भष्म करने वाले है और भव रोग से तारण करने वाले है ।
आज आयोजक मंडल के द्वारा शिव बारात निकाली गयी जिसमे भक्त जनो ने हर्षोल्लास के साथ नृत्य करते हुए शिव पार्वती के विवाह का झांकी के साथ आनंद लिया ।
इस अवसर पर विशेष रूप से नलिन प्रधान विजय प्रधान, सरस्वती प्रधान, विश्वेश्वरी देवी, जुगनू थापा गोविंद थापा अरुण गुरुंग पूर्णिमा गुरुंग निर्मला गुरुंग जय शर्मा माया प्रधान निर्मला थापा मीरा पुन सीमा थापा राय बहादुर थापा मनीषा सीमा रंजीता मीना दुर्गा थापा आचार्य पुष्कर कैंथोला आचार्य राहुल सती आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य् अंकित भट्ट आचार्य तरुण सती आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य आनंद पालीवाल अनिल चमोली आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित रहे।