गीत – थी मीरा दीवानी
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राजमहल के सुख भी त्यागे ऐसी थी पटरानी ।
हँसकर पिया जहर का प्याला थी मीरा दीवानी ।।
पूर्ण समर्पण था माधव को भौतिक साधन त्यागे ।
एक नाम की माला जपती सोए या फिर जागे ।
अपना पूरा जीवन जिसने बहुत कष्ट में काटा,
सूली पर है सेज पिया की उसने ही पहचानी ।।
हँसकर पिया जहर का प्याला थी मीरा दीवानी ।।1
जैसे मीन तड़पती मरती रेत भरे सागर में ।
अंध भक्ति ने प्राण प्रतिष्ठा कर दी थी पत्थर में ।
द्वापर में जन्मा माधव कलयुग में जिसने खोजा ,
याद इसलिए आज सभी को उसकी प्रेम कहानी ।।
हँसकर पिया जहर का प्याला थी मीरा दीवानी ।।2
जग से भारी गोविंदा भी उसने तोल लिया था ।
राधा पर चाबी जिसकी वो ताला खोल दिया था ।
तन से साथ रही पति के माधव को मन में साधा ।
जोगन बनकर रही घूमती मेवाड़ी ठकुरानी ।।
हँसकर पिया जहर का प्याला थी मीरा दीवानी ।।3
प्रेम पताका ले माधव की जिसने जीवन साधा ।
संत समाज बोलता जिसको है कलयुग की राधा ।
जिसकी जिद से हारे माधव दर्शन देने आए,
“हलधर”कविता में लिखता है उसकी कथा रूहानी ।।
हँसकर पिया जहर का प्याला थी मीरा दीवानी ।।4
हलधर -9897346173