मुख्यमंत्री की घोषणा पर मौज काट रहे हैं बिचौलिए

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सभी सफाई कर्मचारियों को नही मिल रहा है 500 रूपए मानदेय की घोषणा का लाभ 

काशीपुर। मुख्यमत्री घोषणा से पर्यावरण मित्रों का मानदेय बढ़ाते हुए 500 रूपये प्रतिदिन का शासनादेश तो 12 अप्रैल 2022 को कर दिया गया लेकिन इसका लाभ अभी भी नगर निकायों के सभी पर्यावरण मित्रों (सफाई कर्मचारियों) को नहीं मिल रहा है। इतना जरूर है कि इससे आउटसोर्स एजेंसियों के संचालकों का सर्विस जार्च बढ़ने तथा जीएसटी, ईएसआई तथा जीपीए, कटौती की अधिक धनराशि मिलने से उन्हें सर्वाधिक लाभ हुआ है। इन आउटसोर्स एजेंसियों के संचालकों पर कर्मचारी शोषण के गंभीर आरोप भी लगते रहते है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के सभी नगर निगमो से मुख्यमंत्री की घोषणा पर जारी शासनादेश का पालन कर 500 रूपए प्रतिदिन मानदेय का भुगतान करने संबंधी सूचनाएं मांगी थी। इसके उत्तर में किसी भी नगर निगम ने पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध नहीं करायी तथा विभिन्न नगर निगमो ने कोई सूचना ही नहीं उपलब्ध कराई गई। इन सबकी प्रथम अपील की गयी है। जो सूचनाएं उपलब्ध कराई गई है उसी से चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए है। लोक सूचना अधिकारी/मुख्य नगर स्वास्थ अधिकारी नगर निगम की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार आउटसोर्स के माध्यम से तैनात सफाई कर्मियों को शासनादेश अनुसारर 500 प्रतिदिन की दर से इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण कार्मिकों को पुरानी दर 350 रूपए प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जा रहा है। इसमें से भी 13 प्रतिशत पीएफ तथा 3.25 र्प्रतिशत ईएसआई की कटौती की जा रही है। लोक सूचना अधिकारी/सहायक नगर आयुक्त नगर निगम, कणनगरी, कोटद्वार ने अपने पत्रांक से सूचित किया है कि सभी पर्यावरण मित्रों को 500 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है। एड. नदीम ने बताया कि पर्यावरण मित्रों की आउटसोर्स व्यवस्था लागू होने से जहां र्प्राइवेट आउट सोर्स एजेंसी रूपी बिचौलियों को लाभ होता है, वहीं कमचारियों का भारी शोषण होता है तथा आउटसोर्स एजेंसी के संचालकों के दवाब के चलते सफाई कार्य भी प्रभावित होता है। इसके विरूद्ध कर्मचारी सेवा समाप्त किए जाने तथा उसके परिवार व रिश्तेदारों को सेवा से हटाने के डर से कोई कार्यवाही या शिकायत भी नहीं कर पाता। इसलिए जनहित, निगम हित तथा कर्मचारी हित में यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए।