आज़ादी अभी अधूरी है! हलधर

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गीत-आज़ादी अभी अधूरी है !
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लिखना मेरी मजबूरी है ,पाठक का ध्यान जरुरी है ।
झोपड़ियों में चूल्हे ठंडे , आज़ादी अभी अधूरी है ।।

ये महापर्व का हंगामा ,दस्तक देता है ओसामा ।
संसद में कुछ अपराधी है ,जीजा साले हैं कुछ मामा ।।
पैंतिस में चिकन भरी थाली ,उनतिस में हलुआ पूरी है ।
लिखना मेरी मजबूरी है , आज़ादी अभी अधूरी है ।।1

नेता सब माला माल हुए ,हलधर भूखे कंगाल हुए ।
महँगाई डायन नाच रही ,व्यापारी चिकने गाल हुए ।।
भूखों की अंतड़ियों से क्यों ,रोटी की इतनी दूरी है ।
लिखना मेरी मजबूरी है ,आज़ादी अभी अधूरी है ।।2

हिन्दू मुस्लिम को बांट रहे ,वोटों की फसलें काट रहे ।
सच कहने वाले कवियों को ,मंचों पर चमचे डाट रहे ।।
सच्चा दो दिन से प्यासा है ,झूठे के पास अँगूरी है ।
लिखना मेरी मजबूरी है ,आज़ादी अभी अधूरी है ।।3

अच्छे दिन आने वाले हैं ,हमने भी सपने पाले हैं ।
पहले दो रोटी मिलती थी ,अब तो उसके भी लाले हैं ।।
छाया क्यों ढूंढ़ रहा “हलधर”, सत्ता का पेड़ खजूरी है ।
लिखना मेरी मजबूरी है ,आज़ादी अभी अधूरी है ।।4
हलधर -9897346173