उत्तराखण्ड

भारी रहा वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल, भाजपा ने पांच साल में पांच विधायक खोये।

देहरादून। 2017 के चुनाव में 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचने वाली भाजपा के लिए वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल बेहतर नहीं रहा। इन पांच सालों में भाजपा के पांच विधायकों की जहां असामयिक मृत्यु हो गई वहीं चुनावी साल में दो विधायकों के भाजपा छोड़कर जाने से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यह अलग बात है कि उसने अपने विधायकों के निधन से खाली हुई सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं करने दी जबकि दो सीटों पर उपचुनाव नहीं हो सके।
पिथौरागढ़ से भाजपा विधायक प्रकाश पंत के निधन से भाजपा को पहला झटका लगा था। क्योंकि प्रकाश पंत भाजपा सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में संवैधानिक नियमों के बड़े विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते थे तथा अपने सरल व्यक्तित्व व शालीनता के लिए अलग छवि रखते थे। यह बात अलग है कि उनके निधन के बाद इस सीट पर उनकी पत्नी चंद्रा पंत को जनता के साहनुभूति वोट से आसान जीत मिल गई और भाजपा की यह सीट भाजपा के पास ही बनी रही। ठीक इसी तरह भवाली विधायक मगनलाल शाह के निधन के बाद भाजपा उनकी पत्नी मुन्नी देवी को भी जीत दिलाने व अपनी सीट को अपने पास रखने में सफल रही। सल्ट विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से भाजपा ने अपना एक विधायक खो दिया वही अभी बीते दिनों गंगोत्री से भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन से भाजपा को बड़ा झटका लगा।
इस वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने ही वाला था कि उससे पूर्व आज कैंट विधायक हरबंस कपूर के निधन की खबर ने भाजपा को स्तब्ध कर दिया। एक विधानसभा के कार्यकाल में भाजपा को पांच विधायक खोने पड़े जो पार्टी के लिए बड़ी क्षति ही कहा जा सकता है। क्योंकि हर नेता का अपना एक अलग वजूद और अस्तित्व होता है।
यूं तो इस विधानसभा के कार्यकाल में कांग्रेसी नेता इंदिरा हृदयेश जैसी वरिष्ठ और अनुभवी नेता की खोने से काग्रेस को अपूर्ण क्षति हुई है लेकिन विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल भाजपा के लिए अत्यंत ही भारी रहा है उसने अपने पांच विधायक खोये हैं जिनमें कई ऐसे थे जिनकी कमी भाजपा को 2022 के चुनाव में भी खलेगी।

Related Articles

Back to top button