डी फार्मा व बी फार्मा कोर्स में फार्मेसी एक्ट के अनुरूप हो प्रवेश: रजिस्ट्रार
स्टेट फार्मेसी काउंसिलिंग ने 50 से अधिक शिक्षण संस्थानों को भेजा पत्र
*छात्रों को इंटरमीडिएट में पृथक-पृथक विषयों में होना होगा उत्तीर्ण*
देहरादून,11 दिसम्बर । फार्मेसी अधिनियम 1948 (1948 क 8) की धारा 10 के तहत एजुकेशन रेगुलेशन 1992, 1994, 2014 के विपरीत कतिपय कॉलेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा डी० फार्मा०/बी० फार्मा० में प्रवेश दिये जाने के सम्बन्ध में रजिस्ट्रार फार्मेसी काउन्सिल उत्तराखण्ड द्वारा समस्त कॉलेजों/विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर उपर्युक्त विषयक आवश्यक कार्यवाही करने हेतु अवगत कराया गया है जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि, कतिपय कॉलेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा फार्मेसी एक्ट के विपरीत डी० फार्मा०/बी० फार्मा० में प्रवेश दिया जा रहा है। जबकि डी० फार्मा०/बी० फार्मा० में प्रवेश हेतु इण्टरमीडिएट में साइंस स्ट्रीम (अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा गणित) विषयों में पृथक-पृथक उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार के. एस. फर्स्वाण ने बताया कि राज्य के कतिपय संस्थानों द्वारा अनिवार्य विषयों में अनुत्तीर्ण छात्राओं को फार्मेसी एक्ट के विपरीत डी० फार्मा०/बी० फार्मा० पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जा रहा है। जिससे बाद में छात्रों को दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि द्विवर्षीय डिप्लोमा/चार वर्षीय डिग्री उत्तीर्ण कर छात्र/छात्राएं पंजीकरण कराने जब कार्यालय में आते हैं तो अनिवार्य विषयों में उत्तीर्ण न होने के कारण उनका पंजीकरण नहीं हो पाता है। जिससे ऐसे छात्र/छात्राओं का भविष्य खराब हो रहा है साथ ही धन की भी हानि होती है। उन्होंने बताया कि इसे प्रकरण में कई छात्रों द्वारा मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल में वाद दायर भी किया गया है।
स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार ने समस्त संस्थानों/विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर अवगत कराया कि डी० फार्मा०/बी० फार्मा० में प्रवेश देते समय छात्र/छात्राओं के समस्त दस्तावेजों को भली भांति जांच लें, कि छात्र/छात्राएं इण्टरमीडिएट में साइंस स्ट्रीम (अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा गणित) विषयों में पृथक-पृथक उत्तीर्ण हैं कि नहीं । भविष्य में इस तरह गलत प्रवेश देने पर संस्थान स्वयं ही उत्तरदायी होगें।
