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उत्तराखंड के अस्पतालों की स्थिति पर सांसद अजय भट्ट का प्रश्न, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी विस्तृत जानकारी

दिल्ली/देहरादून 05 दिसंबर। लोकसभा सत्र के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री व नैनीताल-उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद श्री अजय भट्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा से उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की दयनीय स्थिति और केंद्र द्वारा दी जा रही सहायता पर तारांकित प्रश्न के रूप में जानकारी मांगी।

जवाब में स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि जन स्वास्थ्य राज्य का विषय है, इसलिए नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना राज्य सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। हालांकि, केंद्र सरकार स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

राज्य सरकार द्वारा केंद्र को सूचित किया गया है कि उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्पतालों में भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) 2022 के अनुसार सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। राज्य की स्वास्थ्य अवसंरचना तथा मानव संसाधन संबंधी विस्तृत जिला-वार जानकारी केंद्र के वार्षिक प्रकाशन “हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया 2022-23” में उपलब्ध है।

केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से उप-स्वास्थ्य केंद्रों (SHC) व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) को उन्नत कर रही है। उत्तराखंड में 2,355 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) संचालित किए जा रहे हैं, जहां 12 प्रकार की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक मानव संसाधन, दवाएं, निदान सुविधाएं और आईटी प्रणालियां उपलब्ध कराई गई हैं।

निःशुल्क निदान सेवा पहल के तहत केंद्र द्वारा विभिन्न स्तरों के अस्पतालों में 14 से 134 तक परीक्षणों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) के अंतर्गत उत्तराखंड को वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 215.79 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसमें 5 क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉक और 13 जिला सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का निर्माण शामिल है। इसके अतिरिक्त, पंद्रहवें वित्त आयोग ने राज्य को पांच वर्षों में 797.09 करोड़ रुपये का अनुदान देने की सिफारिश की है।

ईसीआरपी-II के तहत उत्तराखंड को वर्ष 2021-22 में कोविड तैयारी और स्वास्थ्य अवसंरचना सुधार के लिए 433.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों को सेवा देने के लिए फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (FAP), जिला रेजिडेंसी कार्यक्रम, कठिन क्षेत्रों में अतिरिक्त भत्ता और विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए “आप बताएं, हम भुगतान करें” जैसी योजनाएं लागू की गई हैं। साथ ही दुर्गम क्षेत्रों में सेवा करने वाले कार्मियों को गैर-आर्थिक प्रोत्साहन जैसे कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अधिमानी प्रवेश भी दिया जा रहा है।

सांसद अजय भट्ट के प्रश्न ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य तंत्र की वास्तविक स्थिति और केंद्र एवं राज्य द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विस्तृत चित्र प्रस्तुत किया।

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