उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आयुर्प्रवेशिका एवं गीता जयंती सप्ताह का भव्य समापन समारोह
देहरादून 04 दिसंबर। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय,

मुख्य परिसर हर्रावाला में आयुर्प्रवेशिका तथा गीता जयंती सप्ताह के समापन कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि आचार्य सुभाष जोशी (पूर्व राज्यमंत्री, मान्यता प्राप्त पत्रकार एवं प्रदेश उपाध्यक्ष—देवभूमि पत्रकार यूनियन), विशिष्ट अतिथि रोशन राणा (अध्यक्ष, श्रीमहाकाल सेवा समिति), परिसर निदेशक प्रो. पंकज शर्मा, उपपरिसर निदेशक डॉ. नन्द किशोर दाधीच, डॉ. राजीव कुरेले तथा डॉ. प्रदीप सेमवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए डॉ. प्रदीप सेमवाल ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। गीता किसी एक धर्म या पंथ तक सीमित न होकर सम्पूर्ण मानवता को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। वर्तमान वैश्विक अशांति के दौर में गीता का ज्ञान ही विश्व शांति की दिशा प्रदान कर सकता है।
मुख्य अतिथि आचार्य सुभाष जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि गीता कर्मयोग पर आधारित ग्रंथ है, जो हमें कर्तव्यपालन की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान वही प्राप्त करता है जिसमें अर्जुन की भांति जिज्ञासा हो। गीता धर्म, कर्म, योग और सांख्य के वास्तविक स्वरूप को समझने का मार्ग दिखाती है तथा न्याय के पथ पर चलने की शिक्षा देती है।
डॉ. राजीव कुरेले ने कहा कि गीता मनुष्य को अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाकर मोक्ष मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि गीता का धर्म समस्त मानव जाति के लिए है, जो शत्रु-मित्र को समान भाव से देखने की शिक्षा देता है। गीता त्याग, निष्काम कर्म और अहंकार-रहित जीवन का संदेश देती है।
डॉ. नन्द किशोर दाधीच ने कहा कि गीता केवल पढ़ने का नहीं, जीवन में उतारने का ग्रंथ है। अवसाद जैसे मानसिक रोगों के समाधान में गीता तथा आयुर्वेद दोनों ही शरीर-मन-आत्मा को संतुलित करने का कार्य करते हैं। एक चिकित्सक यदि स्वयं मानसिक रूप से उत्तम होगा, तभी वह रोगी को श्रेष्ठ उपचार दे पाएगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में परिसर निदेशक प्रो. पंकज शर्मा ने नवप्रवेशित छात्रों को छात्र धर्म का संदेश देते हुए कहा कि लक्ष्यहीन व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। गीता छात्रों को प्रेरित करती है कि वे श्रेष्ठ लक्ष्य निर्धारित कर साधना के साथ उसे प्राप्त करें।
इससे पूर्व BAMS 2024 बैच के छात्रों ने गीता में विश्व शांति के उपाय, गीता की वर्तमान में उपयोगिता, विद्यार्थी जीवन में गीता का महत्व, आधुनिक युग में गीता की आवश्यकता, गीता में आहार विवेचन, त्रिगुणस्वरूप तथा पुरुषार्थ और भाग्य जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में ईशा, मेघा, भूमिका, सादिया, गीता, प्रीति ने धन्वंतरि वंदना तथा प्रिया, माधवी, सत्यम, आयुष, दीपांशु, कमल सिंह व साहिल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर डॉ. प्रबोध येरावर, डॉ. आकांक्षा, डॉ. ऋचा शर्मा, डॉ. सुनील पांडेय, डॉ. ऋषि आर्य, डॉ. मन्नत मारवाह, डॉ. इला तन्ना, डॉ. अखिल जैन सहित सभी विभागों के प्राध्यापक, चिकित्सक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन चक्षु कुमारी एवं मदीहा खान ने किया।


