उत्तराखण्ड

वंदे मातरम का सम्मान कांग्रेस की धड़कन में, भाजपा को इतिहास विकृत नहीं करना चाहिए : गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून।उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट द्वारा कांग्रेस पार्टी पर वंदे मातरम के 150 वर्षों में अपमान का आरोप न केवल तथ्यहीन है बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का अपमान है,ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।

कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि “हर कांग्रेसी, हर भारतीय वंदे मातरम को नमन करता है। यह गीत केवल कविता नहीं, बल्कि आज़ादी के आंदोलन की धड़कन है।” महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक इस गीत से प्रेरित हुए, और यह पहली बार 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में तब रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था,जब आरएसएस का नाम तक अस्तित्व में नहीं था।

1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम के केवल पहले दो पदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का निर्णय लिया, ताकि हर धर्म और समुदाय के लोग इस गीत के साथ एकजुटता महसूस कर सकें। सर्वधर्म समभाव के दृष्टिकोण से कांग्रेस ने सर्वसमावेशी रास्ता चुना।
यह निर्णय विभाजन का नहीं, समावेशी राष्ट्रवाद का प्रतीक था।

गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि “आज जब प्रधानमंत्री यह कहते हैं कि 1937 में कांग्रेस ने विभाजन की बीज बोए, तो यह इतिहास नहीं, राजनीतिक कल्पना है। विभाजन का कारण ब्रिटिश साम्राज्य की ‘फूट डालो और राज करो’ नीति और दो-राष्ट्र सिद्धांत था, न कि वंदे मातरम का निर्णय।”
गरिमा ने सवाल उठाया कि “जब कांग्रेस ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला रही थी, नमक सत्याग्रह कर रही थी, करो या मरो का नारा देकर जेलें भर रही थी — तब आरएसएस कहाँ था? कांग्रेस ने देश की आज़ादी के लिए खून बहाया, और आज वही कांग्रेस पर राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे।”

दसौनी ने कहा कि कांग्रेस मानती है कि सच्चा राष्ट्रवाद केवल नारों में नहीं, जनता की सेवा में है।
जब किसान परेशान हों, युवा बेरोजगार हों, महंगाई बढ़ी हो, सीमाएं असुरक्षित हों तब 1937 की बहस को उठाना जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है।
अंत में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि
“वंदे मातरम का अर्थ है — हे मातृभूमि, मैं तुझे नमन करता हूँ। चाहे कोई ‘जय हिंद’ कहे या ‘भारत माता की जय’ — भाव एक ही है, देशभक्ति का। कांग्रेस वंदे मातरम और जन गण मन दोनों का समान सम्मान करती है, क्योंकि भारत की शक्ति उसकी विविधता और एकता में निहित है।”

“कांग्रेस ने वंदे मातरम तब गाया था जब ‘स्वतंत्रता’ शब्द कहना भी अपराध था — और आज भी वही गीत हमारे हृदय की धड़कन है।” गरिमा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जिन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज अपने मुख्यालय पर आजादी के 52 सालों बाद फहराया वह आज राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र प्रेम पर कांग्रेस को सलाह दे रहे हैं।

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