उत्तराखण्डविशेष समाचार

औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट हेतु भारतीय मानक विषय पर कार्यक्रम आयोजित

कार्यस्थलों पर सुरक्षा संस्कृति को सुदृढ़ करने हेतु बीआईएस प्रमाणित उत्पादों के उपयोग पर बल

-औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट मानक आईएस 2925 के अद्यतन एवं सुधार पर व्यापक विमर्श

-उद्योग, उपभोक्ता और नियामक संस्थाओं की सहभागिता से समाधान-आधारित संवाद

देहरादून 29 अक्टूबर । भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), देहरादून शाखा कार्यालय द्वारा बुधवार को होटल रेजेंटा, देहरादून में “मानक मंथन” कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट हेतु भारतीय मानक आई.एस. 2925 के संशोधन एवं सुधार पर उद्योग, उपभोक्ता और नियामक संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श करना था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अनिल पेटवाल, अतिरिक्त आयुक्त, श्रम विभाग रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड तथा श्री राजीव वैद, उपाध्यक्ष, पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि श्री अनिल पेटवाल ने भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मानक निर्माण में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कारखानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने में मानकीकरण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी उद्योगों और उपभोक्ताओं से आग्रह किया कि वे बीआईएस प्रमाणित उत्पादों का उपयोग करें, ताकि कार्यस्थलों पर सुरक्षा और गुणवत्ता की संस्कृति और मजबूत हो सके।

बीआईएस देहरादून के निदेशक एवं प्रमुख श्री सौरभ तिवारी ने “मानक मंथन” की अवधारणा, औद्योगिक सुरक्षा उपकरणों की गुणवत्ता में सुधार तथा मानकों के अद्यतन की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला।

संयुक्त निदेशक, बीआईएस श्री सचिन चौधरी ने संशोधित भारतीय मानक आई.एस. 2925 पर विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें प्रभाव अवशोषण (शॉक एब्ज़ॉर्प्शन), अग्नि प्रतिरोधक क्षमता (फ्लेम रेज़िस्टेंस) तथा सेंध-रोधी क्षमता (रेज़िस्टेन्स टू पेनीट्रेशन) जैसी प्रमुख आवश्यकताओं और परीक्षण प्रक्रियाओं की जानकारी साझा की।

कार्यक्रम में उद्योग प्रतिनिधि, उपभोक्ता संगठन, तकनीकी विशेषज्ञ तथा परीक्षण प्रयोगशालाओं के प्रतिनिधियों सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। उत्तरांचल विश्वविद्यालय एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी छात्रों ने भी सक्रिय सहभागिता दर्ज कराई।

विशेषज्ञों एवं उद्योग प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट से संबंधित भारतीय मानकों को उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप और अधिक व्यावहारिक, उपयोगी एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाए।

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