प्राकृतिक और जैविक प्रथाओं को अपनाना आवश्यक : जतिन दास
यूपीएसई में आयोजित हुआ पद्मभूषण जतिन दास का टॉक शो
देहरादून 14 अक्टूबर।
विरासत महोत्सव की ओर से आज यहां यूपीएसई में पद्म भूषण जतिन दास का “पारंपरिक एवं समकालीन कला” विषय पर ज्ञानवर्धक टॉक शो आयोजित किया गया I आयोजित किए गए इस टॉक शो में बतौर मुख्य अतिथि जतिन दास ने अपने संबोधन की शुरुआत अपनी जड़ों, देश और संस्कृति से जुड़े रहने के महत्व पर ज़ोर देकर की। उन्होंने विशेष रूप से जीवन में प्राकृतिक और जैविक प्रथाओं को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला और इस बात पर ज़ोर दिया कि सच्चाई रचनात्मकता प्रामाणिकता और सरलता से ही उभरती है। इस अवसर पर उन्होंने मानव अनुभव को आकार देने में कला और सौंदर्यशास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किये I उन्होंने यह भी कहा कि सभी को अपनी कला का अनुसरण करना चाहिए, चाहे वह नृत्य हो, संगीत हो, चित्रकला हो या कोई अन्य रचनात्मक रूप ही क्यों न हो I पद्म भूषण जतिन दास ने श्रोताओं को समर्पण और ईमानदारी के साथ कलात्मक अभिव्यक्ति को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया। कार्यक्रम में एक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें उनकी उल्लेखनीय कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया और समकालीन समय में पारंपरिक कला के सार की खोज की गई।
कार्यक्रम का समापन एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जहां जतिन दास ने दर्शकों के साथ बातचीत की तथा एक कलाकार के रूप में अपने विशाल अनुभव से प्राप्त बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।