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वेदवती को देखकर रावण हुआ मोहित, वेदवती ने दिया श्राप , गौऊशाला भवन में श्रीरामलीला महोत्सव रंगमंच पर रावण जन्म व वेदवती संवाद ने दर्शकों को किया मोहित
कैराना। कस्बे के गौऊशाला भवन में हो रहे श्री रामलीला महोत्सव के रंगमंच पर दूसरे दिन की लीला का शुभारंभ जनक राज तिवारी हिमालय मॉडल स्कूल ओर मुकेश सिंघल द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर किया गया। लीला के पहले दृश्य में रावण जन्म व वेदवती संवाद लीला का मंचन किया गया। लीला में दिखाया गया कि रावण, कुंभकरण व विभीषण तपस्या करते हैं, ब्रह्माजी तीनों भाईयों को वरदान देते हैं। इसके बाद दिखाया गया कि लंका का राजा रावण जंगल में घूम रहा है, इसी बीच उसकी नजर एक सुंदर ऋषि कन्या वेदवती पर पड़़ती है। उसे देखकर रावण मोहित हो जाता है। रावण वेदवती को अपने वश में करने के लिए हर संभव प्रयास करता है लेकिन सफल नहीं हो पाता। इस दौरान वेदवती व रावण के बीच जमकर संवाद होता है। रावण वेदवती को छू लेता है। इसके बाद वेदवती रावण को श्राप देती है कि वह मिथिलापुरी में दोबारा जन्म लेगी और उसका नाश का कारण बनेगी। मिथिला पुरी में भयंकर अकाल पड़ा है गुरुओं के आदेश से राजा रानी हल चलाते हैं चलते चलते हल की नोंक घड़े से टकराती है। घड़े से सीता जी उत्पन्न होती हैं। मिथिला पुरी में जोरदार वर्षा होती है।
लीला के दूसरे दृश्य में दिखाया गया कि रावण अपने पुष्पक विमान से कैलाश पर्वत से गुजर रहा है। अचानक उसका विमान रुक जाता है। इससे रावण क्रोधित हो जाता है। और कैलाश पर्वत को उखाड़ फेंकने की कोशिश में उसका हाथ दब जाता है। इसी दौरान भगवान शिव का वाहन नंदी वहां पहुंचता है और रावण से कहता है कि यह भगवान शंकर का कैलाश पर्वत है। भगवान शंकर की अनुमति से यहां से कोई नहीं गुजर सकता है। रावण भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है। प्रसन्न होकर भगवान शिव रावण को चंद्रहास तलवार वरदान में देते हैं। और रावण को कहते हैं कि जब तक तुम चंद्रहास की पुजा करते रहोगे तब तक तुम अजेय रहोगे और जिस दिन पुजा भूल गए तो समझना तुम्हारा अंतिम समय आ गया है। ऐसा कहकर रावण को जिस मार्ग से जाना चाहें उसकी अनुमति देते हैं।
लीला के तीसरे दृश्य में दिखाया गया कि रावण अपने पुत्र मेघनाथ को सभी देवी देवताओं को और ऋषि-मुनियों को कैद करके लाने का आदेश देता है जिस पर मेघनाथ सभी देवी देवताओं को बंधक बना लेता है और ऋषि और मुनियों से कर के रूप में उनका खून घड़े में भर कर लाता है तब ऋषि मुनि उसे श्राप देते हैं कि यह खून विकराल रूप धारण करेगा और यही तुम्हारे नाश का कारण बनेगा। वहां से मेघनाथ वह खून से भरा हुआ घड़ा रावण के दरबार में लेकर पहुंचता है और सारा वृत्तांत बताता है तब रावण उस घड़े को मिथिलापुरी में दबाने का आदेश देता है। वही मिथिला पुरी में बेहद अकाल पड़ता है जिस पर राजा जनक और उनकी पत्नी हल से खेत जोतते हैं तब हल की नोंक घड़े से टकराती हैं और उस घड़े से सीता जी की उत्पत्ति होती है। उसके बाद बहुत वर्षा होती है ।
श्री रामलीला महोत्सव के नाट्य मंचन में रावण का अभिनय सभासद शगुन मित्तल एडवोकेट, वेदवती का अभिनय शिवम गोयल, शंकर भगवान का मनोज मित्तल, नंदी गण का अभिनय देव गर्ग, मेघनाथ आशीष सैनी , मारीच का अभिनय आशीष नामदेव ने किया।इस अवसर पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप, सचिव आलोक गर्ग, कोषाध्यक्ष संजू वर्मा, अनिल कुंगरवाल रोहित प्रमोद गोयल डाक्टर रामकुमार गुप्ता अतुल कुमार गर्ग, सुशील कुमार सिंघल, शगुन मित्तल एडवोकेट सभासद राकेश गर्ग, राकेश सिंघल डिंपल अग्रवाल अमित सिंघल (काल प्रभारी), राकेश प्रजापत राजेश नामदेव ,पुनीत कुमार गोयल,मनोज कुमार मित्तल सोनू नेता,अभिषेक गोयल, विजय नारायण सागर गर्ग रविन्द्र कुमार अनुज प्रजापति,अनिल गोयल, सुनील कुमार टिल्लू , आशीष सैनी, अनमोल शर्मा, अमन गोयल, विराट नामदेव, पंकज सिंघल, सुशील सिंघल, निक्की, रणवीर कश्यप, काका राकेश गोयल, अतुल एडवोकेट , आशीष नामदेव, शिवम गोयल, अभिषेक गोयल, अश्विन सिंघल, नरेश, सचिन शर्मा ,काका अंकित जिंदल, सागर मित्तल, अभिषेक भारद्वाज, तुषार वर्मा, अमित कुमार सैन आदि मौजूद रहे l इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से चौकी प्रभारी किला गेट विनोद कुमार राघव के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात रहा ओर पालिका की ओर से विशेष सफाई व्यवस्था कराते हुए कली चुने आदि की व्यवस्था कराई गई।