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ऊन क्षेत्र में यमुना पर 13 चौकियों का दावा, लेकिन जमीनी हकीकत उसके उलट, कटाव से किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन और तैयार फसल बह गई
चौसाना,शामली। प्रशासन ने दावा किया है कि यमुना नदी किनारे ऊन क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिए 13 सुरक्षा चौकियां स्थापित की गई हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट नजर आई। लक्ष्मीपुरा, बाड़ी मुस्तफाबाद, सालहापर, सकौती, नई नगला, उद्पुर, मंगलौरा, बिडौली और शीतल गढ़ी जैसे स्थानों पर कोई चौकी मौजूद नहीं मिली। बिडौली में शामली रोड पर केवल कुछ बांस की बल्लियां पड़ी मिलीं, जिन्हें ड्रेनेज विभाग का कार्यालय बताया गया, मगर मौके पर कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।
बाढ़ सुरक्षा चौकी की जानकारी लेने के लिए एसडीएम ऊन संदीप त्रिपाठी से संपर्क किया गया तो उन्होंने रजिस्ट्रार कानूनगो लोकेश ठाकुर का नंबर दिया। लोकेश ठाकुर छुट्टी पर होने की बात कहकर तीसरे कानूनगो संजय कुमार का नंबर दे बैठे, लेकिन संजय कुमार ने भी खुद को बाहर बताते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
इस बीच, चौसाना क्षेत्र में यमुना नदी के कटाव ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हालांकि सोमवार को नदी के जलस्तर में कुछ कमी आई, लेकिन कुछ दिन पहले बढ़ते जलस्तर और तेज बहाव ने उद्पुर, मंगलौरा और शीतल गढ़ी गांवों में भारी तबाही मचाई। तेज कटाव से करीब 70 बीघा उपजाऊ कृषि भूमि नदी में समा गई। जलस्तर कम होने के बाद भी नुकसान जारी रहा उतरते पानी की तेज धारा ने दर्जनों से अधिक किसानों के खेत काट डाले।
उद्पुर और मंगलौरा के किसान बबलू, नरेश, ओमबीर, सुभाष तथा शीतल गढ़ी के अशोक कुमार, जितेंद्र, ओमप्रकाश, रामफल, किशन सिंह, राम सिंह और गौरव आदि की 150 बीघा से अधिक खेती योग्य जमीन यमुना की लहरों में बह गई। इन खेतों में ईख, ज्वार, बाजरा और मक्का की तैयार फसल खड़ी थी, जो पूरी तरह बर्बाद हो गई।
ड्रेनेज विभाग के अवर अभियंता विकास चौधरी ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से 16 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो अन्य दिनों की तुलना में काफी कम है, लेकिन पानी का स्तर घटते-घटते कटाव और बढ़ा रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
कागज़ों में चौकियों का दावा और जमीन पर अनुपस्थित इंतजाम ने चौसाना के किसानों की पीड़ा और प्रशासन की कार्यशैली दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिर्पोट : चौसाना से शकील अहमद के साथ सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।