उत्तराखण्ड

सातवें वेतनमान का लाभ दिला पाने में नाकाम सहकारिता मंत्री के खिलाफ गरजा मोर्चा

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं उत्तराखंड राज्य भंडारागार निगम के संरक्षक रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि भंडारागार निगम के कार्मिकों को सातवें वेतनमान का लाभ प्रदान किए जाने के मामले में लगभग 4 साल से पत्रावली शासन में धूल फांक रही है, लेकिन विभागीय मंत्री गहरी निंद्रा में हैं | आलम यह है कि मंत्री सिर्फ और सिर्फ अपने निजी हित साधने में लगे हैं तथा इन कार्मिकों के हितों से इनका कोई लेना-देना नहीं है| सरकार अब आठवें वेतनमान की बात कर रही है, लेकिन यहां तो सरकार सातवां वेतनमान का लाभ भी नहीं दिला पाई।
नेगी ने कहा कि उक्त मामले में पत्रावली कई बार सहकारिता विभाग से उद्यम विभाग को प्रत्यावित की गई, जिसमें उद्यम विभाग ने लगभग छह- सात बार आपत्तियों पर आपत्तियां लगाकर पत्रावली को ठंडा बस्ती में डाल दिया था, लेकिन फिर कुछ पूजा- अर्चना करने के उपरांत आपत्तियां निस्तारित हुई | बावजूद इसके आज तक पत्रावली सहकारिता विभाग में धूल फांक रही है| यह आलम तब है जब निगम फायदे (लाभ) में चल रहा है| उद्यम विभाग पूछता है कि निगम घाटे में है या लाभ में ! अगर यही सवाल विधायकों के वेतन- भत्ते, सुख सुविधायें बढ़ाने में किया जाए तो सरकार तब यह सब नहीं देखती । उक्त मामले में कार्मिकों द्वारा मा. उच्च न्यायालय की शरण ली गई है | सवाल यह उठता है कि जब हर काम के लिए मा. न्यायालय की ही शरण लेनी है तो फिर इतने भारी भरकम लाव-लश्कर ,मंत्री-मुख्यमंत्री, सचिवालय, जिस पर प्रतिवर्ष करोड़ों- अरबों रुपए खर्च हो रहा है की जरूरत ही क्या है! सरकार व उसके मंत्री बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति बहुत ही विष्फोटक है | प्रश्न यह उठता है कि क्या मंत्री कभी अपने विभाग के कार्यों, कार्मिकों की पीड़ा, कार्यों में प्रगति व आमजन के बारे में मंथन करते हैं ! मोर्चा सहकारिता मंत्री से मांग करता है कि अगर विभाग नहीं संभाल पा रहे हो तो इस्तीफा देकर इस प्रदेश पर एहसान क्यों नहीं करते हो ! पत्रकार वार्ता में- दिलबाग सिंह व अतुल हांडा मौजूद थे।

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