भावना के स्तर से सुख दु:ख की अनुभुति: आचार्य ममगांई

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देहरादून । कण्डोली बिडास प्रेमनगर में क्षेत्रीय लोगों के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पहले राधा-कृष्ण शिवमंदिर बिडास से कलश सर पर रखे महिलाऐं गोविन्द जय जय गोपाल जय जय की ध्वनि में कथा पाण्डाल तक जाकर लडू गोपाल का स्न्नान करवाया वहीं ज्योतिष पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कथावाचन करते हुए कहा अनुकूलताओं में सुखी और प्रतिकूलताओं में दुःखी होना मनुष्य का स्वभाव है। उन्नति के,लाभ के,फल प्राप्ति के क्षणों में उसे बेहद खुशी होती है तो कुछ न मिलने पर,लाभ न होने पर दुःख भी कम नहीं होता। लेकिन इसका आधार तो स्वार्थ,प्रतिफल,लगाव अधिकार आदि की भावना है। इन्हें हटाकर देखा जाय तो सुख-दुःख का कोई अस्तित्व ही शेष न रहेगा। दोनों ही निःशेष हो जायेंगे सुख-दुःख का सम्बन्ध मनुष्य की भावात्मक स्थिति से मुख्य है। जैसा मनुष्य का भावना स्तर होगा उसी के रूप में सुख-दुःख की अनुभूति होगी। कहा कि जिनमें उदार दिव्य सद्भावनाओं का समुद्र उमड़ता रहता है,वे हर समय प्रसन्न,सुखी,आनन्दित रहते हैं। स्वयं तथा संसार और इसके पदार्थों को प्रभु का मंगलमय उपवन समझने वाले महात्माओं को पद-पद पर सुख के सिवा कुछ और रहता ही नहीं। काँटों में भी वे फलों की तरह मुस्कुराते हुए सुखी रहते हैं। कठिनाइयों में भी उनका मुँह कभी नहीं कुम्हलाता।
श्रीमती चमन देई, कृष्णा तोमर, राहुल तोमर,अंजलि तोमर, उदय सिंह तोमर, कविता तोमर, परीक्षा तोमर, दिव्या तोमर, देवांश तोमर,
सुल्तान सिंह तोमर आनन्द सिंह तोमर सुरेंद्र सिंह तोमर बलवीर सिंह प्रेमलता सविता पुंडीर महिपाल पुण्डीर आचार्य लक्ष्मी दत्त उनियाल आचार्य महेश भट्ट आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठानी आचार्य सन्तोष तेन्दुलकर अनिल चमोली सुधाकर खंकरियाल लाल सिंह चौहान आदि उपस्थित थे ।।