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चौसाना सीमा के पास पटाखा फैक्ट्री में खतरे की घंटी, देवबंद हादसे से भी नहीं लिया सबक, खुल्लम-खुल्ला उड़ाई जा रही हैं कानून की धज्जियां

चौसाना,सहारनपुर 29 अप्रैल। सहारनपुर जिले के चौसाना क्षेत्र के पास चौसाना से गंगोह रोड पर स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में कानून और सुरक्षा मानकों की खुल्लम-खुल्ला धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह फैक्ट्री सहारनपुर जिले में है, लेकिन इसका दरवाजा शामली जिले की सीमा में खुलता है। हाल ही में सामने आए वीडियो में छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को खतरनाक विस्फोटक सामग्री बनाने के काम में लगाया जा रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

चौंकाने वाली बात यह है कि देवबंद में हाल ही में हुए पटाखा फैक्ट्री हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत के बावजूद जिम्मेदार विभागों ने कोई सबक नहीं लिया। देवबंद हादसे के बाद भी प्रशासनिक तंत्र की नींद नहीं टूटी और अब चौसाना सीमा पर भी एक बड़ा हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है।

सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति

फैक्ट्री में न तो फायर सेफ्टी किट उपलब्ध है और न ही अन्य जरूरी सुरक्षा उपकरण। बच्चों और महिलाओं को मामूली पैसों के लालच में जान हथेली पर रखकर काम कराया जा रहा है। फैक्ट्री से बिल्कुल सटे हुए एक उर्दू मदरसे में सैकड़ों बच्चे पढ़ाई करते हैं, जो हर वक्त खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं।

नियमों की खुलेआम अनदेखी

बताया जा रहा है कि फैक्ट्री मालिक के पास महज पांच किलो ग्रीन पटाखे बनाने का लाइसेंस है, लेकिन वास्तविकता में यहां कुंतलों में पटाखों का उत्पादन किया जा रहा है और हरियाणा व पंजाब तक सप्लाई की जा रही है। एक वर्ष पूर्व इसी फैक्ट्री में कुंडा गांव के एक व्यक्ति के झुलसने की घटना भी सामने आई थी, इसके बावजूद इस फैक्ट्री पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

स्थानीय लोगों की चीखें, प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय लोगों ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन फैक्ट्री संचालक के रसूख के चलते शिकायतों को दरकिनार कर दिया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

अब सवाल यह है कि :-

क्या देवबंद जैसे दर्दनाक हादसे के बाद भी प्रशासन चेत पाएगा?

कब तक बच्चों और आम लोगों की जिंदगी से इस तरह खुलेआम खिलवाड़ होता रहेगा?

आखिर कब होगी इन अवैध पटाखा फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई?

रिर्पोट :- शकील राणा के साथ सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर ‌

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