देहरादून 28 मार्च। मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, जो मणिपाल हॉस्पिटल्स ग्रुप का हिस्सा है,ने एक दुर्लभ और ऐतिहासिक चिकित्सा उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल ने 33 वर्षीय महिला मरीज, जो जटिल जन्मजात हृदय रोग टेट्रालॉजी ऑफ फेलॉट (TOF) से पीड़ित थी, में माइक्रा लीडलेस पेसमेकर का सफलतापूर्वक इम्प्लांट किया। बैरकपुर की रहने वाली मरीज (नाम बदलकर RM) का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और उनके लिए इस जटिल सर्जरी का खर्च उठा पाना संभव नहीं था। ऐसे में मणिपाल फाउंडेशन, जो मणिपाल एजुकेशन और मेडिकल ग्रुप (MEMG) का सामाजिक और परोपकारी विभाग है, ने आगे आकर आर्थिक सहायता दी।
इस जटिल प्रक्रिया का नेतृत्व मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियक कैथ लैब के निदेशक एवं वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ. दिलीप कुमार, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी प्रमुख एवं वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल कुमार सिंघी और कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. सोमनाथ डे ने किया। इसके साथ ही, मणिपाल हॉस्पिटल, ढाकुरिया के निदेशक और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश कुमार हाजरा ने भी ब्रीफिंग के दौरान मरीज के साथ उपस्थिति दर्ज कराई। यह दुर्लभ मामला दुनिया में अपनी तरह का पहला केस माना जा रहा है।
मरीज RM को जन्मजात हृदय रोग TOF था, जिसके कारण पहले ही इंट्राकार्डियक रिपेयर और ग्लेन शंट सर्जरी (पल्मोनरी रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए की गई पेलिएटिव प्रक्रिया) की जा चुकी थी। उसके पिछले एपिकार्डियल पेसिंग लीड में खराबी आ गई थी, जिसके कारण उसे एक स्थायी पेसमेकर की आवश्यकता थी। लेकिन उसकी जटिल शारीरिक संरचना के कारण पारंपरिक ट्रांसवेन्स पेसमेकर लगाना संभव नहीं था।
2024 तक, मरीज की एपिकार्डियल लीड पूरी तरह फेल हो चुकी थी और वह अस्थायी पेसमेकर पर निर्भर थी। जटिल हृदय संरचना और पारंपरिक पेसमेकर के लिए उपयुक्त नसों की अनुपलब्धता के कारण लीडलेस पेसमेकर ही एकमात्र समाधान था। हालांकि, इस प्रक्रिया में तकनीकी और आर्थिक चुनौतियां थीं। मरीज को 3 मार्च 2025 को डॉ. दिलीप कुमार की देखरेख में मेडिका में भर्ती किया गया और 5 मार्च 2025 को उसे स्थिर अवस्था में छुट्टी दे दी गई।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बोलते हुए, डॉ. दिलीप कुमार ने कहा, “हमारे ज्ञान के अनुसार, टेट्रालॉजी ऑफ फेलॉट रिपेयर और ग्लेन शंट वाले किसी मरीज में लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांट का यह पहला प्रलेखित मामला है। इस सफलता ने दुनिया भर में जटिल मामलों के लिए नए विकल्प खोल दिए हैं। हम इस केस को एक अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित करने की प्रक्रिया में हैं। इस प्रक्रिया की सफलता यह दर्शाती है कि हमारी अस्पताल में आधुनिक हृदय रोग देखभाल कितनी उन्नत है और वित्तीय सहायता कार्यक्रम जीवन बचाने में कितने महत्वपूर्ण हैं। इस प्रक्रिया का सबसे भावुक क्षण वह था, जब हमने मरीज को उसकी 3 वर्षीय बेटी के साथ मुस्कुराते हुए देखा। मैं डॉ. सिंघी और पूरी टीम का आभारी हूं, जिनके सहयोग से यह संभव हो पाया।”
मरीज RM ने भावुक होकर कहा, “मेरे पास शब्द नहीं हैं कि मैं कैसे डॉ. दिलीप कुमार और मेडिका की पूरी टीम को धन्यवाद दूं। सालों तक मैंने डर में जीवन जिया कि मेरा हृदय कभी भी जवाब दे सकता है और मेरे परिवार के पास मेरे इलाज के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन डॉ. कुमार ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हमेशा मुझे उम्मीद दी। मैं मणिपाल फाउंडेशन, विभिन्न NGOs और उन सभी लोगों की आभारी हूं, जिन्होंने मेरे परिवार का साथ दिया। अब मैं अपनी बच्ची के पास वापस लौट आई हूं, यह जानकर कि मेरा भविष्य सुरक्षित है।”
डॉ. वसुंधा शेट्टी, सीनियर डायरेक्टर – बिजनेस ऑपरेशन्स, मणिपाल हॉस्पिटल्स – CSR, ने कहा, “मणिपाल फाउंडेशन का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों तक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। यह केस दर्शाता है कि कैसे कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) कार्यक्रम जीवन बदल सकते हैं। दानदाताओं की उदारता और संसाधनों को एकजुट करके, हम इस युवा मां को दूसरा जीवन देने में सक्षम हुए। ऐसे पल हमारे मिशन को और मजबूत करते हैं, जहां हम स्वास्थ्य सेवा की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
डॉ.अयनाभ देबगुप्ता, रीजनल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, मणिपाल हॉस्पिटल्स (ईस्ट), ने कहा, “हमारा उद्देश्य हमेशा पूर्वी भारत में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा और तकनीक लाना है, ताकि मरीजों को देश के अन्य हिस्सों में जाने की आवश्यकता न पड़े। इस जटिल प्रक्रिया ने हमारी टीम की सटीकता और देखभाल को दर्शाया है। मणिपाल फाउंडेशन के सहयोग से हमने यह सुनिश्चित किया कि आर्थिक तंगी के बावजूद मरीज को यह अत्याधुनिक उपचार मिल सके। यह केस सामूहिक प्रयास और सामुदायिक सहयोग की ताकत को दर्शाता है, जो भविष्य में भी प्रेरणा देगा।