देहरादून 22 मार्च ।वीर माधो सिंह भडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय में चल रहे फ़र्ज़ी डिग्री जाँच प्रकरण, भ्रस्टाचार, वित्तीय अनिमिताओ की शिकायतो को लेकर डी.ए.वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में छात्र संघटन पिछले एक माह से छात्र सड़को पर संघर्ष रत है !
शासन की जाँच समिति द्वारा कुलपति डॉ. ओंकार यादव द्वारा अपने गृह जनपद के निकट सम्बन्धी की इ.आर.पी. कंपनी को करोडो रु दिलवाने में सांठ गांठ एवं मिली भगत की पुष्टि के तुरंत बाद से डॉ. ओंकार यादव खुल कर अपने इ.आर.पी. के साथ खड़े हो गए है, एवं शासन के आदेशो की खुलकर अवहेलना कर रहे है !
उन्होंने मीडिया के सामने आकर बताया की सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट घोटाला प्रक्रिया में वो अकेले नहीं थे बल्कि शासन के प्रतिनिधि की भी हर स्तर पर पूर्ण सहभागिता रही थी ! केवल अकेले उन पर आरोप ठीक नहीं है !
छात्रों ने मामले को रफा दफा करने को तकनीकी सचिव को घूस देने की पेशकश करने के प्रयास एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री से कुलपति डॉ. ओंकार यादव के व्यक्तिगत ताल्लुक होने की बात को अत्यंत खेद जनक बताया ! छात्रों ने कहा कि कुलपति डॉ. ओंकार यादव कहते है कि उन्होंने मंत्री के रिस्तेदार को विश्वविद्यालय के हॉस्टल निर्माण का काम दिया हुआ है अतः उनका कोई छात्र आंदोलन कुछ नहीं बिगाड़ सकता ! एवं वे निशुल्क समर्थ पोर्टल लागु करने का शासन का कोई आदेश नहीं मानेंगे ! ना ही अपने गृह जनपद के निकट सम्बन्धी की इ.आर.पी. कंपनी को ब्लैक लिस्ट करेंगे !
तकनिकी सचिव द्वारा डॉ. ओंकार यादव के गृह जनपद के निकट सम्बन्धी की इ.आर.पी. कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के आदेश को भी डॉ. ओंकार यादव ने मानने से इंकार कर दिया है ! कुलपति द्वारा अपनी जाति के एक निजी कॉलेज के मालिक को भी किसी तरह सॉफ्टवेयर घोटाले को रफा दफा करने हेतु छात्रों पर दबाव बनाने का जिम्मा सौपा है !
छात्रों ने कुलपति के इस तरह के व्यक्तव्य एवं ताना साही वाले रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है !
छात्रों ने पुनः मांग की :-
1). शासन की समिति की रिपोर्ट के आधार पर कुलपति डॉ. ओमकार सिंह एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी. के पटेल को तुरंत बर्ख़ास्त किया जाये !
2). शासन की समिति की रिपोर्ट में उल्लेखित विश्विद्यालय के 6 करोडो रु के घालमेल की रिकवरी हेतु तुरंत कदम उठाये जाये ! संलिप्त अधिकारिओ के विरुद्ध इ.डी की भी मदद ली जाये !
3). वर्तमान में गलत तरीके से चल रहे घर बैठे ऑनलाइन मूल्याङ्कन को तुरंत बंद करके गोपनीय रूप से मूल्याङ्कन केन्द्रो पर मूल्याङ्कन दिन में पूर्ण गोपनीय एवं पारदर्शी तरीके से कराया जाये !
4). अमित अग्रवाल जो की इंजीनियरिंग कॉलेज,गोपेश्वर के डायरेक्टर हैं, उनकी एक दिन में ही दो डिग्री जारी हुई हैं, जो की क़ानूनी अपराध है।ऐसे व्यक्ति को इतने जिम्मेदार पद से तुरंत पदमुक्त किया जाये एवम इनपे उचित कानूनी कार्यवाही की जाये।
5). विश्विद्यालय द्वारा अभी तक पिछली परीक्षा का भुगतान शिक्षकों को नहीं किया गया है जिसकी वजह से वर्तमान मूल्याङ्कन में ज्यातर शिक्षक रूचि नहीं ले रहे है ! ऐसे में रिजल्ट घोसित होने में देरी हो रही है ! शिक्षको को तुरंत उनके पिछले मूल्याङ्कन एवं परीक्षा ड्यूटी का पैसा दिया जाये ! पारदर्शी तरीके से केवल सीनियर अद्यापको को ही परीक्षक नियुक्त किया जाये !
6). शासन की समिति की रिपोर्ट में उल्लेखित निर्देश के अनुसार वर्तमान इ.आर.पी. तुरंत बंद किया जाये एवं निर्धरित प्रकिर्या के तहत तकनीकी समिति बनाकर केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क प्रदान किया जा रहा समर्थ पोर्टल बतौर इ.आर.पी. तकनीकी विश्विद्यालय में लागु किया जाये !
7). वर्तमान इ.आर.पी. लागु होने के बाद से 2022 से लेकर अब तक हुए ऑनलाइन मूल्याङ्कन से काफी बड़ी संख्या में छात्र असंतुष्ट है एवं उनसे पुनर्मूल्यांकन के नाम पर 3000 रुपये लिए जा रहे है फिर भी उनको सही से संतुस्ट नहीं किया जा रहा है !
अत: विश्विद्यालय समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस निकालकर 2022 से लेकर अब तक हुए ऑनलाइन मूल्याङ्कन के सम्बन्ध में छात्र छात्राओं से उनके असन्तुस्टि आवेदन मांगे ! एवं प्रति सप्ताह निःशुल्क कैंप लगाकर सभी छात्रों से उनकी मूल्याङ्कन से शिकायत को सुने एवं उनको पूर्णतः संतुष्ठ करे ।
8). वर्तमान इ.आर.पी. लागु होने के बाद से काफी छात्र बैक पेपर समय से नहीं भर पाए एवं अब डिग्री पूरा करने का समय भी पूरा हो गया है ! जिनमे से काफी मामले कोर्ट में चले गए है एवं कुछ छात्रों ने आत्म हत्या जैसा क़दम भी उठाने का मन बनाया है ! ऐसे प्रकरणों को सवेदनशीलता के साथ लिया जाये एवं सार्वजनिक नोटिस निकाल कर विश्विद्यालय ऐसे सभी छात्रों को एक वर्ष का विशेष अतिरिक्त समय डिग्री पूरा करने को दे एवं उनको आगामी एक वर्ष तक होने वाली बैक परीक्षाओ में सम्मलित करने का विशेष अवसर दे !
9). महाविद्यालयों की संबध्ता विस्तारण हेतु नामित विशेषज्ञो के नाम से संस्थानों से प्रति विशेषज्ञ Rs 20,000/- लिए जाते है परन्तु विश्विद्यालय केवल रु 5000 ही विशेषज्ञो को देता है ! इस तरह की लुटमार बंद हो ! साथ ही विशेषज्ञो को महाविद्यालयों को परेशान करके अपने स्तर से और अलग से महाविद्यालयों से पैसा लेने हेतु उकसाया जा रहा है !
डी.ए. वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि छात्रों के हितो से कोई भी खिलवाड़ नहीं होने दिया जायेगा ! उपरोक्त बिन्दुओ पर शीघ्र कारवाही न होने पर व्यापक स्तर पर तकनीकी सचिव एवं राजभवन के समक्ष पुनः छात्र आन्दोलन करने को मजबूर होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी।