श्रीश्याम सुंदर मंदिर पटेलनगर में मनाई जाएगी बाबा लाल दयाल जी महाराज की 670 वी जयंती

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देहरादून 29 जनवरी। करोड़ों परिवारों की आस्था के केंद्र श्री सतगुरु बाबा लाल दयाल जी महाराज सन 1355 ई के माघ माह के शुक्ल पक्ष की दूज तिथि को लाहौर स्थित कसूर कस्बे में पटवारी भोला माल के घर में अवतरित होने वाले श्री सद्गुरु बाबा लाल दयाल जी देश विदेश में करोड़ों परिवारों की आस्था के केंद्र हैं उन्होंने जहां बचपन में ही शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया वही अपने गुरु चैतन्य देव से कई सिद्धियां भी प्राप्त की उन्होंने आध्यात्मिक गुण माता कृष्णा देवी से प्राप्त किया।
यही बालक आगे चलकर *परम सिद्ध, परम तपस्वी,ज्ञानी,योगीराज, परमहंस* जैसी उपाधियों से अलंकृत हुए । कहते हैं कि बाबा लाल दयाल जी ने अपने योग शक्ति के बल पर 300 वर्ष का सुदीर्घ जीवन प्राप्त किया, योग शक्ति के बल पर आप हर 100 साल के पश्चात बाल रूप धारण कर लेते थे।अपने 100 वर्ष का समय सहारनपुर में भी गुजारा।
मुगल शासक शहंशाह के पुत्र और औरंगजेब के भाई दारा शिकोह और उस समय के अन्य मुगल शासको के प्रसंग में परम योगी श्री सद्गुरु बाबा लाल दयाल जी का जिक्र कई ऐतिहासिक किताबें में भी आता है विद्वता, अलौकिक दिव्य दृष्टि तथा मुख पर तेज से प्रभावित हो दारा शिकोह ने एक बार आपसे लंबा संवाद किया और विभिन्न गुना को महसूस कर वह आपका शिष्य ही बन गया तथा दारा शिकोह ने वेद उपनिषदों का फारसी में भी अनुवाद किया।
बचपन में एक बार गांव में चलते हुए महात्माओं की टोली में आपका मिलन हुआ टोली के प्रमुख महात्मा अपने पैरों का चूल्हा बनाकर उसे पर चावल बना रहे थे बालक लाल ने ऐसा दृश्य देख महात्माओं के चरणों को स्पर्श किया। उन्हें चावल के दोनों को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया । प्रसाद ग्रहण करते ही वेद उपनिषद रामायण जैसे ग्रंथ भी कंठस्थ कर लिए । पूरे भारत का भ्रमण कर अनेक तीर्थ स्थलों के दर्शन किए और हरिद्वार केदारनाथ धाम इत्यादि में तपस्या की अफगानिस्तान और साथ लगते खाड़ी देशों में भी गए ।
भ्रमण के दौरान जब आप भारतीय पंजाब के जिला गुरदासपुर के कलानौर नगर पहुंचे तो वहां से गुजरती नदी के किनारे तपस्या करने लगे वहीं आपने भौतिक शरीर का कायाकल्प कर लिया और फिर से 16 वर्ष के बालक का रूप धारण किया। अपने शिष्य ध्यान दास को इन्होंने किसी शांत स्थान की तलाश में भेजा, ध्यान दास पास ही स्थित एक टीले पर इन्हीं ले गया यह स्थान श्री बाबा लाल दयाल जी को काफी पसंद आया और बाद में ध्यानपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ इन्होंने यहां अपना डेरा बना लिया ध्यान पुर में ही सतगुरु बाबा लाल दयाल जी महाराज विक्रम संवत 1712 में ब्रह्मलीन हुए जहां उनकी समाधि भी बनी हुई है।
इस साल श्री सतगुरु बाबा लाल दयाल जी महाराज की 670 वी जयंती 31 जनवरी को देश-विदेश में मनाई जा रही है इस संबंध में आयोजन सभी लाल द्वारा में होंगे मुख्य आयोजन श्री ध्यानपुर धाम में गद्दी नशीन महंत श्री रामसुन्दर दास जी महाराज की अध्यक्षता में संपन्न होगा।
इस अवसर पर श्री श्याम सुंदर मंदिर पटेल नगर देहरादून में भी 31 जनवरी को सायं 4:00 बजे से भजन संकीर्तन के साथ जन्मोत्सव मनाया जाएगा तथा रात्रि 8 बजे भंडारे का भी आयोजन किया गया है आप सभी सादर आमंत्रित हैं।