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दून का ग्राम केशरवालाःवोट मांगकर शर्मीदा न करें गांव वासियों की अपील।

देहरादून। एक गांव में आकर शर्मसार न करें, वोट मांग मांगने से पहले सभी राजनीतिक दलों को गांव की सड़क, पानी की समस्या और अन्य समस्याओं को देखकर शर्म आएगी। आजकल चुनाव समर में रायपुर विधानसभा और नगर निगम के वॉर्ड नंबर-1 के केशरवाला के ग्रामीणों को मजबूरन गांव के मुख्य मार्गों पर दो बैनर लगाकर चुनावी प्रत्याशियों को यह चुनौती दी है।
केशरवाला गांव के 80 वर्षीय प्रेमदत्त चमोली बताते हैं कि गांव के लिए सड़क की मांग करते-करते दशक बीत गए, लेकिन आजतक कहीं सुनवाई नहीं हुई है। चमोली बताते हैं कि गांव के समीप पड़ी भूमि पर सेना अपना कब्जा बताती है। जिसके कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि सूचना के अधिकार में मांगे गए राजस्व अभिलेखों में यह उत्तराखंड सरकार की सम्पत्ति है। करीब 1.5 किमी सड़क की मांग निर्माण के लिए सभी अभिलेखों के साक्ष्य के साथ पीएम,सीएम से लेकर विधायक और मंत्रियों तक अपनी समस्या रख दी गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस कारण देहरादून मुख्यालय से महज 7 किमी दूरी बसे केशरवाला गांव से भी अब लोग पलायन कर रहे हैं। चमोली कहते हैं कि उनका जीवन गांव की मूलभूत सुविधाओं को बनाने के लिए जुटाने में ही निकल गया, लेकिन आज तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। केशरवाला गांव के ही बिशन सिंह राणा बताते हैं कि 2012 में सड़क के लिए क्षेत्रीय विधायक ने 50 लाख की स्वीकृति के साथ जेसीबी से काम शुरू करवाया, लेकिन वह यह कहकर बंद करवा दिया गया कि यह सेना की भूमि है. ग्रामीणों ने इस भूमि पर राजस्व अभिलेखों का साक्ष्य सबके सामने रखा। साथ ही राणा बताते हैं कि अभी भी गांव की आधी आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई है। साथ ही बिजली के खंभे नहीं लग पाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 2 वर्ष पूर्व गांव नगर निगम क्षेत्र में आया, तो उम्मीद जगी कि कुछ विकास होगा., लेकिन उसके बाद भी आज तक कोई देखने नहीं आया।

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