रावण को श्राप दे सती हुई वेदवती सीता के रूप में लिया जन्म , रावण से प्रसन्न हो भगवान शंकर ने दी चंद्रहास तलवार 

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कैराना। ज्ञात रहे कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कस्बा कैराना के गौशाला भवन में श्री रामलीला महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। श्री रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन की लीला का शुभारंभ डीके पब्लिक स्कूल कैराना के डायरेक्टर संजीव गोयल व प्रबंधक राजकुमार सेन के द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।

शनिवार रात गौशाला भवन में आयोजित रामलीला मंचन में रावण जंगलों में घूम रहा था। तभी उसकी नजर एक सुंदर कन्या पर पड़ती है, जिसे देख कर वह मोहित हो जाता है और उसको अपने वश में करने का प्रयास करता है। परंतु विष्णु भगवान की भक्त और कुश ध्वज ऋषि की कन्या वेदवती उसकी बातें नहीं मानती है, जिस कारण रावण उसके शरीर को स्पर्श कर देते हैं। इससे क्रोधित होकर वेदवती सती हो जाती है तथा रावण को श्राप देती है कि वह मिथिला पुरी में जन्म लेगी और रावण के नाश का कारण बनेगी। उधर रावण अपने पुत्र मेघनाथ को आदेश देता है कि सभी ऋषि मुनि आदि से कर वसूल करके लाओ और शाही खजाने में जमा करो और उस पर मेघनाथ काल को भी पकड़ कर लाता है जिसे रावण अपना बंदी बना लेता है और ऋषि और मुनियों से वसूल किए गए कर को वह घड़े में लेकर आता है जिस पर रावण पूछता है कि इसमें क्या है तो वह सारी बात बताता है कि इसमें ऋषि और मुनियों का श्राप दिया हुआ खून है जिस पर रावण मेघनाथ को उस कलश को मिट्टी में दबाकर आने का आदेश देता है वहीं, मिथिला पुरी के राजा जनक अपनी पत्नी सुनयना के साथ जनकपुरी में वर्षा न होने के कारण अकाल पड़ने पर गुरु जी के आदेश पर अपनी पत्नी के साथ हल चलाते होते हैं, तो हल से टकराया हुए एक कलश से सीता का जन्म होता है। और जनकपुरी में सीता जन्म की खुशियां मनाई जाती है इसके बाद रावण जिस समय कैलाश पर्वत से गुजर रहा होता है, तो अचानक उसका विमान रुक जाता है, जिससे वह मारीच से विमान रुकने का कारण जानता है। तब मारीच रावण को सारा वृत्तांत बताता है कि यह भगवान शंकर का कैलाश पर्वत है यहां इसके ऊपर से कोई पक्षी भी नहीं गुजार सकता है और रावण को नंदीगण भी काफी समझते हैं कि इस रास्ते से ना निकल कर दूसरे रास्ते से निकल जाए परंतु रावण नहीं मानता है और रावण कैलाश पर्वत को उखाड़ने का प्रयास करता है, लेकिन उसे हिला भी नहीं पाता है, तो रावण का अहंकार चूर हो जाता है। इसके बाद रावण शंकर भगवान की पूजा करता है और क्षमा याचना मांगता है। इस पर भगवान शिव पूजा से प्रसन्न होकर चंद्रहास नामक तलवार देते हैं और यह भी बताते हैं कि जिस दिन तू इस कटार की पूजा नहीं करेगा, वह दिन तेरे जीवन का अंतिम दिन होगा। मंचन के दौरान रावण का अभिनय एडवोकेट शगुन मित्तल, वेदवती-सागर मित्तल, नंदी देव गर्ग, शिव सोनू मित्तल, मेघनाथ अनमोल शर्मा, शुक्र शनिचर सोनू कश्यप व आशु गर्ग ने किया। मंच का कुशल संचालन डायरेक्टर डॉ रामकुमार गुप्ता के द्वारा किया गया और कैलाश पर्वत और रावण के दरबार की बहुत ही सुंदर झांकी सीनरी डायरेक्टर सुनील कुमार उर्फ टिल्लू के निर्देशन में लगाई गई l वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा और नगर पालिका परिषद की ओर से सफाई लिपिक रविंद्र कुमार के नेतृत्व में सफाई अभियान चलाते हुए कई चुने आदि की व्यवस्था कराई गई l इस दौरान मुख्य रूप से अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप , सचिव आलोक गर्ग, कोषाध्यक्ष संजू वर्मा, डॉ रामकुमार गुप्ता , अतुल कुमार गर्ग, सुशील कुमार सिंघल, राकेश गर्ग,एडवोकेट शगुन मित्तल, डॉक्टर सुशील कुमार, सुनील कुमार टिल्लू ,विक्की, पुनीत कुमार गोयल,शिवम गोयल, अभिषेक गोयल, विकास वर्मा, राहुल सिंघल, अश्विन सिंघल, विजय नारायण तायल, मनोज मित्तल सोनू नेता, ऋषि पाल शेरवाल, विपुल कुमार जैन, पंडित वीरेंद्र कुमार वशिष्ठ, जयपाल सिंह, आशु गर्ग, सागर मित्तल,सूरज वर्मा, अंकित जिंदल, सोनू बंसल, राहुल, सनी, डिंपल अग्रवाल, अमित सिंगल, मास्टर अमित सेन, प्रमोद गोयल, रोहित नामदेव, विराट नामदेव, राजेश सिंघल कालू , अनमोल शर्मा, अमन गोयल, तुषार वर्मा, पंडित मोहित जी, अभिषेक भारद्वाज, निक्की शर्मा, पवन कुमार जैन , नीटू व सचिन शर्मा आदि मौजूद रहे।

रिर्पोट : सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।