एडीएम शामली ने किया कैराना रामलीला का शुभारंभ , नारद लीला का हुआ मंचन

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कैराना। हर वर्ष की प्रकार इस वर्ष भी कस्बा कैराना जनपद शामली स्थित गौशाला भवन में श्रीरामलीला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है श्री रामलीला महोत्सव के प्रथम दिन श्री रामलीला महोत्सव का शुभारंभ अपर जिलाधिकारी शामली संतोष कुमार सिंह उप जिलाधिकारी कैराना स्वप्निल यादव क्षेत्राधिकारी अमरदीप मौर्य थाना अध्यक्ष विजेंद्र सिंह रावत और वरिष्ठ भाजपा नेता दामोदर सैनी के द्वारा किया गया। सर्वप्रथम अतिथि गण द्वारा भगवान गणपति के सम्मुख द्वीप प्रज्वलित कर और गणपति जी और विष्णु भगवान की आरती कर व पूजा अर्चना करते हुए अपर जिलाधिकारी संतोष कुमार सिंह ने श्रीराम स्तुति कर श्रीरामलीला महोत्सव का शुभारंभ किया। श्री रामलीला कमेटी के द्वारा अतिथिगणों को स्मृति चिन्ह और पटका पहनाकर सम्मानित किया गया l इसके उपरांत श्री रामलीला मंचन का कार्य प्रारंभ किया गया। जिसमें श्री नारद जी की लीला का मंचन किया गया जिसमें नारद जी एक सुंदर स्थान पर अपनी समाधि लगाकर बैठ जाते हैं उधर समाधि लगने से इंद्र का सिंहासन डोलने लगता है। जिससे इंद्र बेहद परेशान होते है और वह रंभा और कामदेव आदि को नारद जी की तपस्या भंग करने के लिए भेजते हैं परंतु उनसे नारद जी की तपस्या भंग नहीं हो पाती है, तो वह नारद जी से क्षमा मांगते हैं। उधर विष्णु भगवान लक्ष्मी जी को मोहिनी का रूप धारण करने के लिए कहते हैं माता लक्ष्मी विश्व मोहिनी का रुप रखकर सिल निधि की कन्या बनकर सील निधि के महल में बैठ जाती है। उधर नारद जी विश्व मोहिनी का हाथ देखते हैं और सील निधि को बताते हैं कि जिससे भी इस कन्या का विवाह होगा वह बड़ा ही सौभाग्यशाली होगा। उधर जब नारद जी ब्रह्मा जी और शंकर भगवान के पास जाकर अपना सारा वृतांत बताते हैं कि मैंने कामदेव को भी जीत लिया है तो शंकर भगवान अपने दोनों गणों को नारद जी के पीछे लगा देते हैं कि आप नारद जी की हर गतिविधि का ध्यान रखना l वहीं विष्णु भगवान के पास जाकर नारद जी हरि का रूप मांगते हैं लेकिन विष्णु भगवान उन्हें हरि के स्थान पर हरि (वानर) का रूप दे देते हैं और नारद जी सिल निधि की कन्या के स्वयंवर में यह सोचकर जाते हैं कि मुझे विष्णु भगवान ने हरी का रूप दिया है और मेरा विवाह विश्व मोहिनी से हो ही जाएगा। परंतु भगवान शिव के गणों द्वारा नारद जी को दर्पण दिखाया जाता है तो उन्हें इस बात की जानकारी मिलती है की विष्णु भगवान ने उन्हें हरी का रूप नहीं दिया है बल्कि वानर का रूप दिया है। इस बात से क्रोधित होकर नारद जी विष्णु भगवान को श्राप देते हैं कि जिस प्रकार नारी के वियोग में मैं तड़पा हूं इसी प्रकार एक दिन तुम भी नारी के वियोग में तड़पोगे और जो तुमने मुझे वानर का रूप दिया है। वह वानर ही तुम्हारे काम आएंगे जिसे विष्णु भगवान नारद जी का श्राप आशीर्वाद समझते हुए स्वीकार कर लेते है। वही जब भगवान शंकर के गण नारद जी की मजाक बनाते हैं तो गणों को भी नारद जी श्राप दे देते है। नारद जी का अभिनय पंडित सम्मोहित शर्मा, इंद्र का अभिनय प्रमोद गोयल, मंत्री का अभिनय वासु मित्तल , कामदेव का अभिनय अनमोल वर्मा, विष्णु भगवान का अभिनय रोहित , लक्ष्मी जी का अभिनय सागर मित्तल, गन का अभिनय सोनू कश्यप, आशु गर्ग, शिव जी का अभिनय मनोज मित्तल, सील निधि का अभिनय ऋषिपाल शेरबाल ने किया इस दौरान मुख्य रूप से अध्यक्ष जयपाल सिंह कश्यप , सचिव आलोक गर्ग कोषाध्यक्ष संजू वर्मा डॉ रामकुमार गुप्ता अतुल कुमार गर्ग सुशील कुमार सिंघल, राकेश गर्ग, अनिल कुमार कुंगरवाल, एडवोकेट शगुन मित्तल, डॉक्टर सुशील कुमार, सुनील कुमार टिल्लू ,विक्की, पुनीत कुमार गोयल, राजेश नामदेव, सतीश, राकेश प्रजापति, शिवम गोयल, अभिषेक गोयल, विकास वर्मा, राहुल सिंघल, अश्विन सिंघल, विजय नारायण तायल, मनोज मित्तल सोनू नेता, ऋषि पाल शेरवाल, विपुल कुमार जैन, पंडित वीरेंद्र कुमार वशिष्ठ, जयपाल सिंह, आशु गर्ग, सागर मित्तल, सुनील कुमार टिल्लू, सूरज वर्मा , अंकित जिंदल, सनी, डिंपल अग्रवाल, अमित सिंगल, मास्टर अमित सेन, प्रमोद गोयल , रोहित नामदेव, विराट नामदेव, राजेश सिंघल कालू ,अनमोल शर्मा, अमन गोयल, तुषार वर्मा, पंडित मोहित शर्मा , विपुल कुमार जैन, अभिषेक भारद्वाज निक्की शर्मा व सचिन शर्मा आदि मौजूद रहें।

रिर्पोट : सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।