कैराना। कांधला रोड स्थित मीट प्लांट में हड्डियां गलाने वाली भट्ठी से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण में प्रदूषण फैलाने तथा पशुओं का रक्त भूमि में पहुंचाने के आरोप लग रहे थे। मंडल आयुक्त के आदेश पर गठित टीम ने मीट प्लांट पर छापा मारा और वहां से पानी का नमूना भरकर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दिया। मीट प्लांट के आसपास के मोहल्ले और करीब आधा दर्जन गांव में पीने का पानी पूरी तरह दूषित हो चुका है। नल से निकलते ही पानी कुछ ही समय में पीला पड़ जाता है इससे आसपास के मोहल्ले और गांव में खतरनाक बीमारियां उत्पन्न हो रही है। इस कारण आसपास के मोहल्ले और ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। पानी एक प्रकृति की ऐसी देन है जिसका कोई मोल नहीं है पानी बगैर मनुष्य हो या पशु जिंदा नहीं रह सकता। एक और सरकार पानी को बचाने और जनता को स्वस्थ रखने के लिए अनेकों प्रकार के जतन कर रही है। वहीं कैराना के कांधला रोड पर स्थित मीम एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड मीट फैक्ट्री के आसपास के मोहल्ले और क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांव में पीने का पानी दूषित हो चुका है। ग्राउंड वाटर से आसपास के मोहल्ले के लोगों को हेपेटाइटिस बी,सी जैसी जानलेवा खतरनाक बीमारी हो रही है। जिससे क्षेत्र के काफी लोगों को समय से पहले मौत का सामना करना पड़ा। मीट फैक्ट्री के संचालक के हौसले इतने बुलंद है कि वह शासन प्रशासन की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए मीट प्लांट का संचालन अवैध तरीके से कर रहा है।अब देखना है की प्रशासन द्वारा मीट प्लांट पर कार्यवाही सुनिश्चित कब की जाएगी ?
मीट प्लांट में बच्चों से लेकर बीमार पशुओं का कटान होता हैं।
वही सूत्र बताते है की मीट प्लांट के अंदर कैराना क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्र से चोरी किए गए पशुओं को कम पैसों में खरीद कर काटा जाता है। साथ ही मीट प्लांट में छोटे-छोटे पशुओं के बच्चों को और बीमार पशुओं को भी काटा जाता है। जिस ओर प्रशासन ने आज तक कोई ध्यान नहीं दिया है। वही मीट प्लांट के सामने पशुओं की अवैध पैठ लगाई जाती है। जिसका सिर्फ दिखावा किया जाता है और बाद में पशुओं के छोटे-छोटे बच्चों को मीट फैक्ट्री में ले जाकर काट दिया जाता है। सूत्र यह भी बताते हैं की मीट फैक्ट्री में काफी लंबे समय से पशुओं के छोटे-छोटे बच्चों को काटा जा रहा है।
रिर्पोट : सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।