भारत की प्रतिष्ठा के मूल में भारतीय आध्यात्मिक एवं सनातन संस्कृति है: डा घिल्डियाल

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देहरादून 14 अगस्त । भारत की प्रतिष्ठा के मूल में यहां की आध्यात्मिक एवं सनातन संस्कृति ही महत्वपूर्ण कारण है, इसकी वजह से ही भारत एक दिन विश्व गुरु था, और आगे भी बनेगा।
उपरोक्त विचार शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने व्यक्त किए, सहायक निदेशक आज मियां वाला में श्री गुरु राम राय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य राम भूषण बिजलवान एवं उनके भाइयों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थित विशाल जन समुदाय को संबोधित कर रहे थे, डॉ घिल्डियाल ने कहा कि जो देश कई वर्षों तक गुलाम रहा हो फिर भी उसकी हैसियत पुनः विश्व गुरु बनने की बनी हुई हो ऐसा यहां की आध्यात्मिक विरासत की वजह से ही संभव हो सका है।
सहायक निदेशक ने कहा कि भागीरथ जी अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को धरा पर लाए थे, परंतु कलयुग में पूर्वजों के उद्धार के लिए उनके सुपुत्रों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा रूपी ज्ञान गंगा ही मोक्ष का आधार है, और कितना अच्छा है, कि आयोजन करने वाले के बराबर ही सुनने वाले को भी फल की प्राप्ति हो जाती है, इसलिए समाज के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऐसे कार्यक्रमों में जनता को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए, उन्होंने व्यास पीठ पर आसीन आचार्य डॉ राधेश्याम खंडूरी सहित उपस्थित आचार्यों का स्वागत एवं प्रशंसा करते हुए कहा कि व्यास पीठ पर बैठने वाले व्यक्ति एवं सहयोग कर रहे आचार्यों की बड़ी जिम्मेदारी है ,कि उनका चरित्र प्रवचनों के अनुकूल भी रहना चाहिए, जिससे समाज उनका अनुकरण कर सके।
कथा स्थल पर पहुंचने पर सरकारी सेवा में आने से पूर्व पूरे देश एवं विदेशों में 700 से अधिक श्रीमद् भागवत कथाएं करने वाले “उत्तराखंड ज्योतिष रत्न” की उपाधि से विभूषित विद्वान सहायक निदेशक का कथा के आयोजक बिजलवान बंधुओं द्वारा पुष्पमाला और अंग वस्त्र से स्वागत किया गया।