*गुरु हो तो ऐसा हो*
देहरादून 21जुलाई
। आज के समय में जहां कुछ लोग गुरु मंत्र को रेवड़ियों की तरह बांटकर सनातन धर्म की जड़ों को कमजोर कर रहे हैं,वही एक गुरु ऐसे भी जिन्होंने लंबे समय से प्रतीक्षारत 450 लोगों में से मात्र 25 लोगों को गुरु मंत्र के योग्य समझ कर मंत्र दीक्षा प्रदान की।
हम बात कर रहे हैं,ऐसे दिव्य एवं भव्य गुरु उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ “की जिनसे मंत्र दीक्षा लेने के लिए लोग वर्षों तक लंबी कतार में इंतजार करते हैं ,*गत वर्षो से इंतजार कर रहे 450 लोगों की लिस्ट में उन्होंने मात्र 25 लोगों को जिसमें से 10 लोग एनआरआई हैं, उन्हें आचार्य श्री ने ऑनलाइन मंत्र दीक्षा प्रदान की, एवं 15 सौभाग्यशाली लोग देश के विभिन्न प्रांतो से हैं, जिन्होंने आज उनके आवास पर पहुंचकर गुरु पूर्णिमा के पर्व पर मंत्र दीक्षा ग्रहण की। शेष 425 लोगों को फिर से इस योग्य बनने के लिए कहा गया है।ऑनलाइन और ऑफलाइन मंत्र दीक्षा देते समय आचार्य श्री की धर्मपत्नी शिक्षाविद डॉ आरती घिल्डियाल भी उनके वामावर्त मौजूद थी*
जिज्ञासावश संपर्क करने पर आचार्य दैवज्ञ ने बताया कि गुरु दीक्षा कभी भी भावावेश में नहीं दी जानी चाहिए, उसके लिए गुरु दीक्षा ग्रहण करने वालों के मन में गहरी श्रद्धा एवं ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव होना बहुत आवश्यक है,उन्होंने शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा कि पुरुष है, तो माता-पिता और स्त्री है, तो सास ससुर की सेवा तथा पति-पत्नी आपस में एक दूसरे का आदर करते हुए ही गुरु दीक्षा के अधिकारी होते हैं, जब तक उन्हें यह भाव नजर नहीं आता तब तक वह मंत्र दीक्षा प्रदान नहीं करते हैं।
स्मरणीय है,कि अपनी सटीक भविष्यवाणियों के लिए अंतरराष्ट्रीय जगत में विख्यात आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” के पूरे विश्व में अनुयायियों की संख्या लाखों में है, परंतु मंत्र दीक्षा देकर शिष्य उन्होंने मात्र हजारों सौभाग्यशाली लोगों को ही बनाया हुआ है, जबकि उनसे मंत्र दीक्षा ग्रहण करने के लिए लोग वर्षों तक इंतजार करते हैं।