राजनीति

नेता प्रतिपक्ष के लिए महरा पर कांग्रेस संगठन की सहमति के बाद फंस गए प्रीतम!

अनिल पंछी
देहरादून। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर मचे घमासान के बीच खबर आ रही है कि उत्तराखण्ड कांग्रेस संगठन ने करन माहरा के नाम पर अपनी सहमति जता दी है। बताया जा रहा है कि संगठन की करन माहरा पर सहमति जताने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम ंिसंह खुद फंसते नजर आ रहे है। सूत्रों का कहना है कि यदि नेता प्रतिपक्ष के रूप में करन माहरा का चयन होता है,तो कांग्रेस आलाकमान उत्तराखण्ड में जातिय और क्षेत्रिय संतुलन बनाने के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में गढ़वाल मंडल से किसी नेता की ताजपोशी कर सकती है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर करन माहरा सदन में नेता प्रतिपक्ष चुने जाते ह तो इसकी भारी उम्मीद है कि कांग्रेस आलाकमान उसके बाद किशोर उपाध्याय की दोबारा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी कर सकती है।
प्रदेश कांग्रेस में 11 सदस्यीय विधायक दल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानमंडल दल की नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद 10 विधायक रह गए हैं। ऐसे में इन विधायकों के दो गुटों में बंटने के बाद पार्टी के लिए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना आसान नहीं रह गया है। जिसे लेकर पार्टी आलाकमान में घमासान मचा हुआ है। इसबीच सूत्रों से खबर आ रही है कि उत्तराखण्ड कांग्रेस संगठन ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में करन माहरा पर अपनी सहमति जता दी है। इसे पार्टी ने मान भी लिया है। किन्तु सारे विधायक इसपर सहमत है या नही है वह बात अलग है,क्योंकि इस मामले को लेकर विधायक भी गुटबाजी करते नजर आ रहे है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानमंडल दल के नेता के साथ प्रदेश अध्यक्ष के बदलने जाने पर विचार किया जा रहा है। ताकि गढ़वाल, कुमाऊं के बीच जातीय संतुलन को साधा जा सके। लेकिन इसके लिए प्रीतम गुट तैयार नहीं है। ऐसे में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के फॉर्मूले पर भी विचार किया जा रहा है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की इस दौड़ में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय,गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा, गोविंद सिंह कुंजवाल, ममता राकेश, काजी निजामुद्दीन आदि नेताओं के नाम सियासी चर्चाओं में तैर रहे हैं। पार्टी का एक गुट अध्यक्ष के दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की भी राय दे रहा है। जिसमें एक गढ़वाल और एक कुमाऊं से हो सकता है। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार प्रकाश जोशी भी इसबीच दिल्ली चले गए है। जानकारों का कहना है कि तेलंगाना में पार्टी ने जातीय समीकरण साधने के लिए यही फॉर्मूला अपनाया था।बहरहाल, इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेता अपनी-अपनी खिचड़ी तो पका रहे हैं, लेकिन कोई खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। प्रदेश कांग्रेस का पूरा कुनबा दिल्ली में जुटा है। पार्टी नेता जल्द ही इस मुद्दे का हल निकलने की बात कह रहे हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा इतना आसान नहीं है, जितना बताया जा रहा है। इसलिए इसका हल निकलने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं। क्योंकि चुनावी वर्ष में कांग्रेस पार्टी उत्तराखण्ड में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।

 

 

 

 

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button