उत्तरायणी मेले में पहाड़ की संस्कृति से हुए रूबरू

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हल्द्वानी 11जनवरी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में चल रहे उत्तरायणी मेले घुघुतिया त्यार के तीसरे दिन सांस्कृतिक संध्या में लोक गायक जितेन्द्र तोमक्याल व ममता आर्य के गीतों ने लोगों को पहाड़ की संस्कृति से रूबरू कराया।
वहीं सुबह बच्चों की चम्मच दौड़, जलेबी दौड़ प्रतियोगिता, लोकगीत व लोकनृत्य व बॉलीबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। बुधवार को हीरानगर स्थित पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच प्रांगण में चल रहे उत्तरायणी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं हुई। देर शाम मेले में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मंच के भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।
उत्तरायणी मेले में दिनभर क्राफी चहल पहल देखने को मिली। मेला परिसर में जहां व्यवसायियों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है, वहीं स्थानीय निवासियों में मेले को लेकर गजब का उत्साह बना हुआ है।
वहीं उत्तरायणी मेले के दौरान बुधवार को भी कई प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। जलेबी दौड़ बालिका जूनियर वर्ग में दीक्षा पनेरू, रीवा बिष्ट और ईशिता बमेठा प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहीं। सीनियर बालिका वर्ग में ट्विंकल आर्या, दर्कि्षता नेगी, बबीता तिवारी पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहीं। बालक जूनियर वर्ग में आयुष बिष्ट प्रथम, मलय जोशी दूसर और लक्ष्य गैड़ा तीसरे स्थान पर रहे। जबकि चम्मच दौड़ बालक जूनियर वर्ग में कान्हा आर्य प्रथम, हर्ष उपाध्याय दूसरे और मलय जोशी तीसरे स्थान पर रहे। सीनियर बालक वर्ग में हरजस सिंह प्रथम, वेद सिंह द्वितीय व कुनाल रावत तृतीय स्थान पर रहे। वहीं बालिका वर्ग की चम्मच दौड़ जूनियर वर्ग में राधिका नैनवाल, तान्य आर्य और आरूषि आर्य पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहीं। सीनियन बालिका वर्ग में श्रद्धा साह पहले, भावना राजपूत दूसरे और साक्षी पुनेठा तीसरे स्थान पर रही। शाम को मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें सुप्रसिद्ध लोक गायक जितेंद्र तोमक्याल और ममता आर्या ने महफिल लूट ली। दोनों के गीतों पर श्रोता जमकर झूठे।
जितेंद्र तोमक्याल ने‘ओ दीपा भावरा, साली दीपिका घुंघुर बजे दे, हाळा परली घडी ला, ग्वाल भसानु का साथ मा, यो ताली ताल यो गोरीखाल सुनाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं ममता आर्या के मैं पहाडन मेरा ठुमका पहाड़ी गीत
श्रोता थिरक उठे। इसके अलावा ममता ने कानों का झुमका मेरी रंगोली पिछोड़ी, ब्वारी चाहा दे आदि कुमाऊनी लोकगीत सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।