करोड़ों की चोरी का मामलाः फरार आरोपी का पिता 48 लाख की नगदी के साथ गिरफ्तार

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देहरादून। नगदी व ज्वैलरी चोरी मामले में करोड़ों रुपये लेकर फरार आरोपी के पिता को पुलिस ने 48 लाख की नगदी के साथ गिरफ्तार कर लिया है।
शुक्रवार को इसकी जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक नगर सरिता डोभाल ने बताया कि 19 अगस्त को मीनू गोयल निवासी न्यू डिफेन्स कालोनी विश्वनाथ एन्क्लेव रायपुर ने अपने घर से रूपये व ज्वैलरी चोरी होने के सम्बन्ध में एक प्रार्थना पत्र दिया गया।पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी। घटना की गम्भीरता को देखते हुए घटना के शीघ्र खुलासे के लिए थानाध्यक्ष कुन्दन राम के नेतृत्व में पुलिस टीमें गठित की गयी थी। पुलिस टीम द्वारा 21 अगस्त को सन्नी को विश्वनाथ इन्क्लेव सहस्त्रधारा रोड़ से गिरफ्तार किया गया था, जिसकी निशानदेही पर चोरी किये गये दो करोड़ साठ लाख रुपये 02 ट्राली बैग एंव 02 वाहन बरामद किये गये थे। पूछताछ पर सन्नी द्वारा बताया गया कि उसके साथ घटना को अंजाम देने में उसका एक अन्य साथी धीरज पुत्र भूदेव निवासी वाजिदपुर थाना बड़ौद उ,प्र, भी शामिल था, जिसे उसने अन्य तीसरा रुपयो का बैग दिया था। उक्त प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये वरिष्ठ उपनिरीक्षक नवीन जोशी एक अन्य टीम को जनपद बड़ौद रवाना किया गया।
पुलिस टीम द्वारा फरार धीरज के घर व अन्य सम्भावित जगहों पर दबिश दी गयी, परन्तु वाँछित धीरज फरार मिला। जिसके बारे में आस-पास के लोगो से पूछताछ करने पर जानकारी मिली कि आरोपी खेती बाड़ी का काम करता है। पूर्व में देहरादून में भी रह चुका है। धीरज का एक भाई दिल्ली पुलिस में नियुक्त है, जो कि नरेला दिल्ली में ही सरकारी आवास में रहता है। गाँव में उसके पिता व पत्नी रहते है। घटना के बाद वह एक दिन अपने घर पर आया था। पुलिस टीम को सूचना मिली कि धीरज के पिता भूदेव चोरी किये गये रुपयो में से भारी धनराशी को गाँव में ही छिपाने की फिराक में है। जिसके पश्चात् से ही पुलिस टीम द्वारा लगातार उसके पिता व अन्य परिवार की निगरानी करनी शुरु कर दी, जिसके परिणाम स्वरुप 24 अगस्त को धीरज के पिता भूदेव को उनके गाँव वाजिदपुर बड़ौद में उन्ही की ट्यूबेल के पास से गिरफ्तार किया गया। जिनके कब्जे से चोरी के अठतालीस लाख रुपये एक सफेद कट्टे से बरामद की गयी।
पूछताछ मे भूदेव ने बताया कि उसके दो पुत्र है। बड़ा पुत्र नीरज दिल्ली पुलिस में है, जो अपने बच्चो के साथ नरेला दिल्ली में रहता है तथा छोटा पुत्र धीरज अपने परिवार व उसके सहित गांव में ही रहता है। जो कि खेती बाड़ी का काम करता है। वह करीब 7-8 वर्ष पूर्व देहरादून में भी रह चुका है, जहाँ उसका एक दोस्त सन्नी रहता है। वे दोनो आपस में मिलकर डम्पर एंव बिल्डिंग मैटिरियल का काम करते थे। वह कुछ दिन पूर्व इलाहबाद मजदूर लेने के नाम से घर गया था और वह 20 अगस्त को वह गाँव में अपने घर पर आया था। जो कि अगले ही दिन बिना कुछ बताये घर से चले गया था। 21 अगस्त को जब उसको जानकारी मिली की उसके पुत्र धीरज को पुलिस ढूढ रही है तो वह अपने बेटे नीरज के पास नरेला दिल्ली गया, जहाँ नीरज से उसको पता चला कि धीरज ने देहरादून में अपने दोस्त सन्नी के साथ मिलकर बहुत बड़ी करोड़ो रुपये की चोरी कर रखी है। जिस पर उसने धीरज से बात करी और हमने मिलकर तय किया कि चोरी किये गये रुपये को ठिकाने लगा देते है। पुलिस को तथा किसी अन्य को भी इस बारे में नहीं बतायेंगे। चोरी के सारे रुपये नीरज के कमरे में रखे हुये थे। उसमें से गिनकर अडतालीस लाख रुपये उसने एक सफेद प्लास्टिक के कट्टे में लेकर अपने गाँव की ओर चला तथा शेष रुपयो को धीरज अपने साथ ले गया है। जिसे गाँव आने के बाद उसने अलग-अलग जगह पर छुपाये रखा। पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर उसको न्यायालय में पेश किया गया जहाँ से उसको न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।