हरिद्वार। श्रावण मास की कांवड़ यात्रा सोमवार से शुरू हो गयी है। यात्रा की तैयारियों को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये है। नीलकंठ मेला क्षेत्र में 894 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में शिवभक्त महादेव के दर्शन और जलाभिषेक करेंगे। मेला क्षेत्र की पलपल की गतिविधियों पर 74 सीसीटीवी कैमरे और तीन ड्रोन से नजर रखी जायेगी। हालांकि किसी भी आतंकी घटना की आशंका के मद्देजनर एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड की तैनाती भी इस बार की गई है।
मेला क्षेत्र में पुलिस ने 7 खोया-पाया केंद्र स्थापित किए हैं। केंद्रों में तैनात पुलिसकर्मियों को डिजिटल सिस्टम से भी जोड़ा गया है, जिससे तत्काल किसी भी शिवभक्त के खोने की जानकारी जल्द पहुंच सके। बीन नदी में बरसात के दौरान बाढ़ की स्थिति में ट्रैक्टर और जेसीबी की व्यवस्था की जा रही है। एसडीआरएफ और क्यूआरटी की दोकृदो टीमों के साथ जल पुलिस के गोताखोरों को भी कांवड़ियों की सुरक्षा में लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार सुपर जोन में एएसपी, सात जोन में सीओ स्तर के अधिकारी और सेक्टर में निरीक्षक व उपनिरीक्षक पर सुरक्षा का जिम्मा होगा। पुलिस के आलाधिकारियों ने कांवड़ यात्रा ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों को खासकर व्यवहार संयमित रखने के निर्देश दिए हैं। औचक निरीक्षण में तैनाती स्थल से किसी के भी गायब मिलने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क से होकर गुजरने वाले नीलकंठ धाम के पैदल मार्ग पर यात्रा में शाम 6 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया है। वन्यजीवों के खतरे के मद्देनजर कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है। दिन में पुलिस और राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के वनकर्मियों की टीम मार्ग पर नियमित पेट्रोलिंग करेगी।
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कलयुग के श्रवण कुमारः 100 साल की मां की इच्छा पूरी करने निकला अजय
हरिद्वार। कलयुग के इस समय में जहां बच्चे अपने माता-पिता से किनारा कर रहे हैं। वहीं कुछ विरले बच्चे ऐसे भी हैं जो अपने माता-पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए श्रवण कुमार बन अपने जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के इटेड़ा के रहने वाले अजय कुमार और बुलंदशहर के धराऊं के देव ऐसे ही दो श्रवण हैं। अजय अपने कंधों पर कावड़ में एक तरफ अपनी मां बाला देवी और दूसरी तरफ 51 किलोग्राम गंगाजल लेकर हरिद्वार से घर की ओर रवाना हुए। वह घर पहुंचने पर अपनी माता के साथ स्थानीय शिवालय पर जलाभिषेक करेंगे। देव भी अपनी मां सरस्वती को कांवड़ पर बैठाकर बुलंदशहर से हरिद्वार की ओर निकले। हर की पैड़ी से गंगाजल लेकर घर की ओर रवाना हुए।