मंत्रोचार के साथ संपन्न हुआ पंचायती जिनालय का भव्य शिलान्यास कार्यक्रम
देहरादून। पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज, पूज्य क्षुल्लक श्री पर्व सागर जी महाराज, पूज्य क्षुल्लक श्री ससंघ के मंगल सानिध्य में श्री 1008 मुनिसुब्रतनाथ पंचायती जिनालय का भव्य शिलान्यास कार्यक्रम शक्ति विहार माजरा मे बड़े हर्षोल्लास मंत्रोचार के साथ संपन्न हुआ।
सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एवं जैन भवन स्थित मंदिर में भगवान का अभिषेक कर पूज्य आचार्य श्री के मुखरविंद द्वारा शांतिधारा की गई। इसके पश्चात बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों और बच्चो सहित जैन धर्मशाला मे एकत्रित होकर वहा से घट यात्रा प्रारम्भ हुई। घट यात्रा महावीर चौक, पटेलनगर, निरंजनपुर होकर आदिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर रोचीपुरा होकर शिलान्यास स्थल शक्तिविहार पर संपन्न हुई। शिलान्यास स्थल पर घट यात्रा की आगवानी मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य मंत्री भगत सिंह कोश्यारी, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल ने की। इसके पश्चात भगत सिंह कोश्यारी ने पुष्पदंत सागर जी महाराज को श्रीफल अर्पण कर आशीर्वाद लिया। इसके पश्चात मुख्य अतिथियों का माला व अंग वस्त्र पहनाकर स्वागत किया गया। इसके पश्चात पूज्य आचार्य श्री द्वारा प्रवचन दिए गए। उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया। उन्होने कहा कि राम में भी दो नाम छुपे हुए हैं,प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और आखरी तीर्थंकर महावीर और सबसे सर्वोपरि हमारे देश की माटी है जिसे माथे पर लगाकर हमारे देश के वीर जवान भी देश की रक्षा करने जाते हैं। बालिकाओं द्वारा सुंदर मांगल्य स्वागत गीत भी गाए गए। सभी कार्यक्रम ग्वालियर से पधारे प्रतिष्ठाचार्य श्री अजीत शास्त्री द्वारा सम्पन्न कराए गए। इस अवसर पर मुख्य शिलान्यासकर्ता राजेश जैन, पारस जैन, अर्चना जैन द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इसके पश्चात राजीव जैन,अमित जैन,सार्थक जैन,अमित सचिन जैन व अन्य भक्तों ने शिलान्यास किया। शिलान्यास कार्यक्रम में जैन समाज अध्यक्ष विनोद जैन,महामंत्री राजेश जैन,नरेश चंद जैन, मयंक जैन, आशीष जैन,अर्जुन जैन,अशोक जैन, सुनील जैन,सुखमालचंद जैन, विपिनजैन,संदीप जैन,पंकज जैन,सचिन जैन,अमित जैन,भारत भूषण जैन,फकीरचंद जैन,नितेश जैन, गोपाल सिंघल,रीना सिंघल,सारिका जैन,सिम्मी जैन, सुनैना जैन,पूनम जैन, रेखा जैन,सीमा जैन, दिव्या जैन आदि बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।