वार्ता को छोड़ जनप्रतिनिधि हंगामा करते हुए कार्यालय से निकले
जनप्रतिनिधियों की दलील व आरोप गलत: पांडेय
हरिद्वार। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के नाम पर धर्मस्थल हटाने को लेकर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से मिलने पहुंचे कांग्रेस विधायक व नेता वार्ता के दौरान भड़क गए।
कांग्रेसी नेताओं का आरोप हैं कि जिलाधिकारी ने जनप्रतिनिधियों को मिलने के लिए सोमवार का समय दिया था और भरोसा दिलाया था कि धर्मस्थल पर मंगलवार से पूर्व कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन प्रशासन ने समय से पूर्व ही आर्यनगर स्थित एक धर्मस्थल पर कार्रवाई कर दी। जिसको लेकर डीएम जनप्रतिनिधियों को कोई संतोषजनक जबाब नहीं दे सके। एसडीएम पूरण सिंह राणा ने नाराज जनप्रतिनिधियों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन उनको भी उनके गुस्से का सामना करना पड़ा। कांग्रेसी विधायकों ने एक निर्दलीय विधायक व भाजपा के इशारे पर कार्रवाई का आरोप लगाया है। जिलाधिकारी ने जनप्रतिनिधियों को सोमवार को मिलने का समय दिया गया था। निर्धारित समय पर कांग्रेसी विधायक रवि बहादुर, अनुपमा रावत, फुरकान अहमद, ममता राकेश, वीरेन्द्र जाति व कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी, पूर्व दर्जाधारी नईम कुरैशी, मकबूल कुरैशी, रफी खान, शहजाद और आरिफ कुरैशी आदि कांग्रेसी नेता पहुंचे। जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से सवाल किया कि जब मंगलवार तक कार्रवाई रोकने का भरोसा जनप्रतिनिधियों को दिया गया था, तो अचानक धर्मस्थल पर बुलडोजर की कार्रवाई करना कितना उचित है। जिलाधिकारी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और बीच में ही जिलाधिकारी की वार्ता को छोड़ कर हंगामा करते हुए चल दिए। बैठक में मौजूद एसडीएम पूरण सिंह राणा ने जनप्रतिनिधियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन उनको भी जनप्रतिनिधियों के गुस्से का सामना करना पड़ा। कांग्रेसी ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने आरोप लगाया कि जिलाधिकारी से मिलने के लिए कांग्रेस के पांच विधायकों ने समय मांगा था। लेकिन जिलाधिकारी ने छुट्टी पर होने की बात कहते हुए मिलने से इंकार कर दिया और सोमवार को मिलने का समय दिया था। लेकिन एक निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को उसी दिन जिलाधिकारी ने मिलने का समय दिया। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने बताया कि जनप्रतिनिधियों ने उनसे मिलने का समय मांगा था। जिनको मिलने के लिए बुलाया गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों के साथ कुछ लोग भी आ गए, जिनके साथ वार्ता की गई। किसी को कोई अश्वासन कार्रवाई रोकने का नहीं दिया गया था। प्रशासन विशेष परिस्थितियों को देखकर कार्रवाई करती है। आर्यनगर की धर्मस्थल की लेकर अलग-अलग कई प्रतिनिधियों ने उनसे मिलकर मुलाकात कर चुके है। जिनमें एक प्रतिनिधि मंडल धर्मस्थल को समान के साथ हटाने की बात कही थी।