दो घंटे के उपन्यास में बांधकर लेखक की ओर से रचित मूर्ति की आत्मा को जीवित रखा
देहरादून। नाट्य संस्था वातायन ने नाटक गोदान का मंचन किया। गोदान उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति है गोदान एक वृहत उपन्यास है। जो आज भी संसार के प्रमुख 10 उपन्यासों में शामिल है। देश-विदेश की कई भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है। नाटक के निर्देशक मंजुल मयंक मिश्र ने इस का नाट्य रूपांतरण किया तथा इस कथा को दो घंटे के उपन्यास में बांधकर लेखक की ओर से रचित मूर्ति की आत्मा को जीवित रखा है।
गोदान की कथा किसान होरी तथा उसकी पत्नी धनिया के इर्द-गिर्द घूमती है। किसान होरी के परिवार को जमीदार पटवारी सूदखोर महाजन पुलिस तथा धर्म के ठेकेदार किस तरह शोषण करते हैं और एक भोले-भाले किसान को मजदूर बना देते हैं। कृषि वर्ग का प्रतिनिधि पात्र होरी अंततः कुचक्र में फंस कर अपनी जान दे देता है। उसकी पत्नी धनिया बचे खुचे पैसों को अपने मृत पति के हाथ में रखकर उसका गोदान करवाती है। गोदान की मार्मिक कथा के साथ निर्देशक तथा पात्र ने पूरा पूरा न्याय किया है। धनिया के रूप में सोनिया नौटियाल गैरोला ने बहुत सहज व सजीव अभिनय किया। धीरज सिंह रावत किसान होरी के रूप में जमते हैं। वेशभूषा तथा रूप सज्जा नाटक के अनुरूप थी। जिसे विनीता रितुंजय व कीर्ति भंडारी बखूबी निभाया। निर्देशक ने पूरे गांव को मंच पर सजीव कर दिया था। नाटक में संगीत अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहा। नाटक का प्रथम सफल मंचन राजभाषा विभाग ओएनजीसी की ओर से किया जा चुका है। दर्शकों ने नाटक की बहुत-बहुत प्रशंसा की वह इस नाटक के अधिक से अधिक प्रसिद्ध प्रदर्शन किए जाने की मांग की। इस अवसर पर वातायन के अध्यक्ष रोशन धस्माना, उपाध्यक्ष उदय शंकर भट्ट, सचिव गजेन्द्र वर्मा, संतोष गैरोला, वातायान के पूर्व अध्यक्ष सलमान जैदी, मदन डुकलान, गजेंद्र भंडार, कुलानंद घनशाला आदि उपस्थित थे।