उत्तराखण्डधर्म-संस्कृति

जीवन का प्रत्येक कर्म हो योगमय: स्वामी चिदानंद

परमार्थ निकेतन में हुआ अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन की ओर से जी-20, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। विशेष आध्यात्मिक सत्र में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती ने योग प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि जीवन का प्रत्येक कर्म योगमय रूप से किया जाए तो वह परमात्मा की ओर ले जाता है। योग केवल आसनों का समूह मात्र नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि आप प्रत्येक श्वास के साथ अपने आप से और अपने स्व से जुड़ें क्योंकि यही परमात्मा और आत्मा से जुड़ने का मार्ग है। ध्यान के माध्यम से हम अपने प्रति और अधिक जागरूकता होते हैं। योगाचार्य बी. हैप्पी ने कहा कि वह वर्ष 2013 से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में आ रही हूं और मैं यहां पर अपने ज्ञान और अनुभव को साझा कर अत्यंत प्रसन्न हूं। योगसोमोस्टोडोस फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ जय हरि सिंह की ओर से अपनी चेतना को कैसे जगाए, हृदय चक्र संतुलन पर सत्र का संचालन विश्व प्रसिद्ध योगऋषि विश्वकेतु, आनंद प्रकाश योग आश्रम के संस्थापक और योगासन के लेखक की ओर से किया गया। वॉयसिंग द साउंड्स ऑफ योर चक्र नामक जापान के गुमी और हिरोको की ओर से आयोजित किया गया था। पद्मश्री कैलाश खेर के विशेष सूफी संगीत ने प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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