शोध के लिए अब तक दून मेडिकल कॉलेज को मिली 6 लोगों की देह
वार्षिकोत्सव में 72 लोगों ने लिया देहदान का संकल्प
देहरादून। प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि मानवता के लिये किया गया अंगदान, नेत्रदान और देहदान सबसे बड़ा महादान है, समाज हित में इससे बड़ा पुण्य का काम दूसरा नहीं हो सकता है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के सभागार में दधीचि देह दान समिति के प्रथम वार्षिकोत्वस में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मेडिकल कॉलेज को अपनी देहदान कर चुके 6 महादेहदानियों के परिजनों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इसके साथ ही समिति तत्वाधान में मानवता के लिये अपने नेत्रदान व देहदान के लिये संकल्प पत्र भर चुके 72 लोगों को डा. रावत ने संकल्प पत्र सौंपे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समिति के महासचिव एडवोकेट नीरज पाण्डेय ने बताया कि रक्तदान की भांति नेत्रदान व अंगदान करके हजारों लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि मेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रहे प्रत्येक 10 छात्रों को मानव शरीर की संरचना समझने के लिये एक कैडेवर (पार्थिव देह) की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में मेडिकल मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त कैडेवर उपलब्ध नहीं हैं। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एवं एम्स ऋषिकेश के चिकित्सक डॉ. विजेन्द्र सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों द्वारा प्राप्त पार्थिव शरीर को ससम्मान के साथ प्रिजर्व रखा जाता है। शोध एवं अध्ययन कार्य शुरू करने से पहले मेडिकल छात्र-छात्राएं व फैकल्टी पार्थिव शरीर के समक्ष एक विशेष शपथ लेने के उपरांत ही सम्मान के साथ प्रयोगात्मक कार्य शुरू करते हैं। कार्यक्रम में कैंट विधायक सविता कपूर, बाल आयोग की अध्यक्षा डा. गीता खन्ना, समिति के अध्यक्ष डा. मुकेश गोयल, उपाध्यक्ष भारत गगन अग्रवाल, सचिव सुमित अदलखा, कोषाध्यक्ष कृष्ण कुमार अरोड़ा, डा. विजेन्द्र सिंह, डा. विनोद अरोड़ा, मेडिकल कॉलेज में मानव शरीर विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. एमके पंत, अपनी देहदान कर चुके महादानियों के परिजन सहित देहदान के लिये संकल्प करने वाले दानवीर व उनके परिजन एवं मेडिकल छात्र-छात्राएं उपस्थित रही।