लंढौर बाजार धंसने की जांच को पहुंचा दल

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विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने किया मौके का निरीक्षण, दो सप्ताह बाद देंगे रिपोर्ट

मसूरी। लंढौर बाजार के धंसने की वैज्ञानिक जांच करने वैज्ञानिकों का एक दल मसूरी पहुंचा व लंढौर बाजार रोड के धंसने व मकानों में आयी दरारों का निरीक्षण किया। दल के सदस्यों ने मुख्यतः निशिमा होटल जैन मंदिर के समीप रोड के धंसने, मकानों में आई दरारों व साउथ रोड पर जाकर इस क्षेत्र के भवनों व टिहरी बाई पास का निरीक्षण किया।

रूड़की आईआईटी से आए असिस्टेंड प्रोफेसर डा. शारदा प्रसाद प्रधान ने कहा कि अभी उन्होंने केवल सड़क व भवनों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया है, इसके बाद टिहरी बाईपास रोड़ जाएंगे तथा समीक्षा करने के बाद ही इसका पता लग पाएगा कि आखिर यह क्षेत्र धंस क्यों रहा है। उन्होंने कहा कि कहीं भी सिंकिंग जोन या भूस्खलन एक दम नहीं होता वह धीरे-धीरे होता है चाहे वह प्राकृतिक हो या आर्टिफिसियली हो। अभी देखने से लगा कि यह केवल 15 से 20 मीटर क्षेत्र है जहां अधिक धंसाव है। जो सिंकिंग या भूस्खलन होता है वह बड़े क्षेत्र में होता है इससे ऐसा लग रहा है कि यह स्थानीय स्तर की समस्या है बाकी तो जांच के बाद ही पता लग पाएगा। यहां से जाने के बाद सभी वैज्ञानिक आपस में समीक्षा करेंगे व करीब दो सप्ताह बाद रिपोर्ट देंगे। इस मौके पर अधिशासी निदेशक यूएसडीएमए डा. पियूष रौंतेला ने कहाकि शासन ने लंढौर बाजार क्षेत्र के भू धसांव पर एक कमेटी बनाई गई है इस कमेटी में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक हैं जिसमें आईआईटी रूड़की, सीबीआरआई, वाडिया इंस्टीटयूट, सहित दूसरे संस्थान है। ये कमेटी इस क्षेत्र का निरीक्षण कर रही है व उसके बाद इसके कारणों का पता लगायेंगे व तब इसका उपचार किस तरह किया जाना है इसकी रिपोर्ट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में जगह कम होती है व लोग रोड के आस-पास ही आवास बनाते हैं आगे बढने की जगह नहीं होती सारी व्यावसायिक गतिविधियां भी सड़क के आसपास होती है। ऐसे में वहीं पर आबादी का दबाव रहता है। यहां कई भवन बहुत पुराने है जिनकी मियाद समाप्त होने वाली है लेकिन ऐसे में भी लोग रह रहे हैं। उन्होंने निर्माण पर प्रतिबंध पर कहा कि कुछ स्थानों पर निर्माण प्रतिबंधित हो सकता है सभी जगह नही हो सकता, क्योंकि शहर की वाहन क्षमता से अधिक भार वहन करना गलत है। इस मौके पर एसडीएम शैलेंद्र नेगी, वैज्ञानिक वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान डा. स्वप्नमिता चौधरी, सीबीआरआई रूड़की के वैज्ञानिक डा. किशोर कुलकर्णी, आईआईआरएस देहरादून के वैज्ञानिक डा. हरिशंकर, सहायक भू वैज्ञानिक जीएसआई देहरादून, जीओटेक एक्स्पर्ट डा. वैकटेश्वरलु यूजीडीआरपी देहरादून, भूवैज्ञानिक यूएसडीएमए देहरादून के डा. सुशील खूंडूरी, जल निगम के अधिशासी अभियंता संदीप कश्यप, सहायक अभियंता विनोद रतूडी, नगर पालिका अभियंता वेद प्रकाश बंधानी, एमडीडीए के सहायक अभियंता अभिषेक भारद्वाज, लोक निर्माण विभाग के अपर सहायक अभियंता पुष्पेद्र खेरा, सहित अधिकारी मौजूद रहे।