देश की एकता अखंडता बनाए रखने में संत समाज का अहम योगदान: स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ
हरिद्वार। भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए ब्रह्मराष्ट्र एकम की ओर से सप्तऋषि क्षेत्र स्थित अदभूत मंदिर में राष्ट्रीय सनातन अधिवेशन का आयोजन किया गया। अधिवेशन में विभिन्न विषयों पर वक्ताओं ने विचार रखे। अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों ने हमेशा ही देश की एकता अखंडता बनाए रखने में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज सनातन परंपरांओं और धर्म शास्त्रों पर अनर्गल टिप्पणी सनातन धर्म पर कुठाराघात किया जा रहा है। जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। युवा वर्ग को नशे व पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर सनातन धर्म संस्कृति और परंपरांओं को अपनाते हुए धर्म रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। एकजुट होकर ही सनातन धर्म की रक्षा की जा सकती है।
डा. सचिन सनातनी ने कहा कि सनातन धर्म के अत्यंत प्राचीन होने के हजारों वैज्ञानिक प्रमाण हैं। लेकिन मानसिक विकास से ग्रसित लोग अनर्गल टिप्पणियां कर सनातन धर्म पर कटाक्ष कर रहे हैं। जो कि अत्यन्त निंदनीय और अशोभनीय है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारतीय युवाओं को सनातन धर्म संस्कृति के अनुरूप सुसंस्कृत किया जाएगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुंवर राजेंद्र नरूका, राष्ट्रकवि गजेंद्र सोलंकी, प्रदीप झा, महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयी आनंद, संचालक आचार्य आनंद बल्लभ पांडेय, सुनील शास्त्री, सतीश चंद्र मिश्र, रविंद्रनाथ मिश्र, राजेंद्र शर्मा, पावन, उपेंद्रनाथ, संतोष कश्यप, अखिलेश रावत, दीनदयाल मिश्र, अभिषेक शुक्ल, बलराम मिश्र आदि ने भी विचार रखे। अधिवेशन के दौरान भूमा मेडिकल कालेज की छात्राओं ने कुमांऊ और गढ़वाली नृत्य के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम आयोजक डा.सचिन सनातनी, पंडित दिवाकर द्विवेदी, सतीश चंद्र मिश्रा, रविंद्रनाथ मिश्रा व प्रिया मिश्रा ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।