योग गुरू ने चर्चा विषय पर आयोजित सम्मेलन के दूसरे दिन दिया अपना संबोधन
हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण रखते हुए एक मंच पर चर्चा विषय पर आयोजित सम्मेलन के दूसरे दिन स्वामी रामदेव ने कहा कि आज औद्योगिकरण बहुत गलत दिशा में जा रहा है। वर्तमान में सबसे ज्यादा पैसा फार्मा कंपनियों के पास है। दुर्भाग्य से पूरी दुनिया में मेडिकेशन का सोर्स फार्मा कंपनियों के पास ही है और उनका उद्देश्य कम से कम निवेश के साथ ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना है। जिस तरह मेडिकल व फार्मा इंडस्ट्री काम कर रही है, उस पर पूरी दुनिया को विचार करना होगा।
स्वामी रामदेव ने कहा कि कि एलोपैथ चिकित्सक दवा निर्माण नहीं कर सकता। किन्तु आयुर्वेद में चिकित्सक लगभग एक हजार औषधियां बनाने में सक्षम है। यह आयुर्वेद की आत्मनिर्भरता है। उन्होंने कहा कि वे कोई आयुर्वेद के चिकित्सक नहीं बल्कि योगी हैं। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा. अनुराग वाष्र्णेय ने कहा कि पतंजलि ने गिलोय, तुलसी, अष्टवर्ग पादप, अश्वगंधा पर आधुनिक पैरामीटर्स के आधार पर अनुसंधान कर तथ्यों के साथ उनके चमत्कारी प्रभावों को दुनिया के सामने रखा है। पतंजलि पहला संस्थान है। जिसने आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का दर्जा दिलाने की ओर ठोस कदम बढ़ाया है। एआइएमएस भोपाल व एआइएमएस जम्मू के प्रो. वाई. के. गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद बहुत प्राचीन है। यह ऐसा विज्ञान है जिसको हमने भुला दिया था। एलोपैथी का सिस्टम बहुत नया है। लेकिन उसकी भी अपनी खूबियां हैं। एनआईएमएस विश्वविद्यालय, जयपुर के डायरेक्टर सर्जिकल डिसिप्लिंस प्रोफेसर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम स्वामी रामदेव के दिशानिर्देशन में एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। महर्षि मार्कंडेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च मुलाना के प्रोफेसर एण्ड फार्माकोलॉजी हैड प्रो. प्रेम खोसला ने कहा कि पतंजलि ने वल्र्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया में वृहद् आयुर्वेदीय ज्ञान को समेटा है। उन्होंने कहा कि समय व काल की कसौटी पर परखी पारम्परिक आयुर्वेदिक औषधियाँ दुष्परिणाम रहित हैं। कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.ऋषभदेव, डीजीएम ऑपरेशन प्रदीप नैन, डा. निखिल मिश्रा, डा. सीमा गुजराल, डा.ज्योतिष श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमावत, संदीप सिन्हा तथा डा. कुणाल भट्टाचार्य का सहयोग रहा।