दून विश्वविद्यालय में किया अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
देहरादून। राज्यपाल ने कहा कि हमारी बेटियों में असीमित क्षमताएं है। उनके साहस, हौसले, धैर्य असीमित हैं। हमें उनकी नई उड़ान, नई ऊंचाईयां दिलाने के लिए अपनी सोच और अपने विचारों में परिवर्तन लाना होगा। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि जब किसी देश की संस्कृति और सभ्यता का मूल्यांकन करना हो तो उस देश, समाज एवं उस संस्कृति में महिलाओं को क्या स्थान दिया गया है, इस बात को समझना बेहद जरूरी है। राज्यपाल शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय में भारतीय महिला-एक सत्य आधारित दृष्टिकोण विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए बोल रहे थे। इस संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारतीय महिला के इस सत्य को समझना बेहद जरूरी है। हजारों साल की गुलामी ने हमारे वास्तविक सत्य को कहीं खो दिया है। भारतीय संस्कृति में स्त्री के बिना यज्ञ पूर्ण नहीं होता है। पुरुष और महिला को समाज में समान अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी भारतीय महिला के सच्चे स्वरूप को प्रकट करने वाली होगी और नारी के सच्चे स्वरूप से समाज को परिचित कराएगी। इस अवसर पर राज्यपाल ने महिला विश्वविद्यालय एसएनडीटी की कुलपति उज्ज्वला चक्रदेव की ओर से लिखित पुस्तक भारतीय महिला-एक सत्य आधारित दृष्टिकोण का भी विमोचन किया। इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने अपने-अपने विचारों से नारीत्व की क्षमताओं और संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम के दौरान दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, यू-कॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, राष्ट्रीय सेविका समिति की प्रमुख शांता अक्का, संवर्द्धिनी न्यास के आयोजक सचिव माधुरी मराठे, महिला विश्वविद्यालय एसएनडीटी की कुलपति उज्ज्वला चक्रदेव, नैक की उप सलाहकार लीना गाहने सहित अन्य वक्ताओं ने महिलाओं से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने वक्तव्य रखे। इस दौरान विभिन्न कॉलेजों के प्रधानाचार्य, प्रमुख और डीन, संका सदस्य, प्रशासनिक सदस्य और कई कॉलेजों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।