जिला अस्पताल से दून मेडिकल कॉलेज रेफर मरीज का नहीं हो रहा इलाज।

देहरादून। राजकीय मेडिकल कालेज यानी दून अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। इस अस्पताल में जिला अस्पताल (कोरोनेशन) से रेफर किए गए आर्थो के मरीज को इलाज देने की बजाय यहां से इंद्रेश अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जबकि यहां पर हड्डी रोग के मरीजों के आपरेशन का बैकलाग बहुत ज्यादा है। मरीजों को यहां आपरेशन के लिए दो से तीन सप्ताह तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं अस्पताल के कुछ कर्मचारी उन्हें दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए जाने पर विवश कर रहें है।
ऐसा ही एक मामला यहां पर आया है जिसमें मरीज अब्दूल समद 01 अक्तूबर को कोरोनेशन अस्पताल (जिला अस्पताल) में इलाज के लिए दाखिल हुआ। बता दें कि अब्दुल राज मिस्त्री का काम करते हुए सेटरिंग से गिरने से घायल हो गए और उनके घुटने के पास हड्डी टूट गई। वहां करीब 10 दिन भर्ती रखने के बाद कोरोनेशन अस्पताल ने उन्हें राजकीय मेडिकल कालेज रेफर कर दिया।
10 अक्तूबर को अस्पताल में भर्ती होने के बाद अस्पताल ने उनकी कई जांच आयुषमान कार्ड के तहत किया। उन्हें बताया गया कि उनके पांव का आपरेशन किया जायेगा। लेकिन बार बार बहाने बनाकर उनका आपरेशन नही किया गया। दिवाली से दो दिन पहले उन्हें बताया कि त्यौहार के कारण आपरेशन हो सकता क्योंकि स्टाफ छुट्टी पर रहेगा, इसलिए आप घर जा सकते है।
बकौल मरीज उन्हें बार बार हतोत्साहित किया गया ताकि वे इलाज के लिए स्टाफ के बताये अस्पताल में इलाज कराने चले जाये। जब वे दिवाली के बाद अस्पताल में इलाज के लिए आये तो अस्पताल के स्टाफ ने बहाने गढ़ कर उन्हें इंद्रेश अस्पताल रेफर कर दिया। वहां पर अब्दुल ने इलाज के लिए पूछताछ की तो अस्पताल द्वारा बताया गया कि आयुषमान योजना के तहत इलाज हो जायेगा लेकिन उससे पहले अपने खर्चे में तमाम टेस्ट कराने होंगे।
अब्दुल की मानें तो दून अस्पताल के एक डाक्टर ने उन्हें दवा दी। जब दर्द नहीं गया तो उन्होंने डाक्टर से इंजेक्शन लगाने का आग्रह किया ताकि दर्द से जल्द राहत मिले। लेकिन इससे डाक्टर नाराज हो गया और उसने अब्दुल को धमकी दी कि डाक्टर वह है इसलिए उसके मुताबिक ही दवा लेनी होगी। वरना वह उसे धक्के मार कर बाहर कर देगा। इस बारे में जब रिपोर्टर ने जानकारी मांगी तो अस्पताल की एक नर्स ने बताया कि मरीज दवाएं नहींे खा रहा था इसलिए डाक्टर ने मरीज को डांट दिया।
इस पूरे प्रकरण में सच या झूठ क्या है, यह मुद्दा नहीं है। क्योंकि सच तो यह है कि मरीज अब्दुल समद कोरोनेशन अस्पताल से दून अस्पताल और फिर इंद्रेश अस्पताल तक रेफर हुआ। उसे इलाज नहीं मिला। कहीं वह इलाज का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है। वहीं उसके घर में ऐसा सदस्य नहीं जो अस्पताल में उनकी देखरेख कर सके। इसलिए अब वह अपने गांव जाकर जड़ी बूटी वाला इलाज कराने को मजबूर है। लेकिन इन बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में अवस्थित अस्पताल मय स्टाफ जैसे गरीब का मजाक उड़ा रहें है।