कविता -जीवन और संबंध
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रस आनंद मिठास ,जरूरी हैं जीवन में ।
रखना दृढ़ विस्वास,द्वेष मत पालो मन में ।।
सादा रखो विचार ,सहजता रखना थोड़ी ।
सुख की बहे बयार ,चलेगी लंबी जोड़ी ।।
जिस पर वारे जान ,सदा उसका ही रहना ।
रिस्तों का सम्मान , सही मानव का गहना ।।
शिशु को रोता देख , तुरत मैया यूँ जागे ।
चुम्मन का आलेख , दर्द बच्चे का भागे ।।
देखी माँ बेहाल , गाय आयी रंभाती ।
मेरा दूध निकाल ,भूख बच्चे को खाती ।।
वर्षा में शिशु देह ,कांपती थर थर काया ।
देख मात का नेह , बाज बैरी थर्राया ।।
खुद का सच्चा प्यार , सोचना है नादानी ।
दूजे का अधिकार , छीनता क्यों अभिमानी ।।
समय बहुत बलवान ,जिंदगी इसका लेखा ।
जीवन नदी समान , लहर हाथों की रेखा ।।
अनपढ़ बने सुजान , शब्द की ऐसी माया ।
कैसे आया ज्ञान , ज्ञात किसको हो पाया ।।
“हलधर” लिखता गीत , ब्रह्म ने खाता खोला ।
मिली शारदा प्रीत , छंद लिखवाए रोला ।।
हलधर-9897346173