नई दिल्ली। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से जलमग्न हुए इलाकों में अब पानी के स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है। एक तरफ जहां ये राहत की बात है तो वहीं दूसरी तरफ एक डर की भी बात है। राहत इसलिए कि अब राहत कार्यों में तेजी लाई जा सकती है। डर इसलिए क्योंकि पानी उतरने के साथ ही कई बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं।पाकिस्तान सरकार के मुताबिक सिंध के 22 जिलों में से 18 जिलों में अब बाढ़ का पानी उतरने लगा है। कहीं पर ये 35 फीसद तो कीं पर ये 80 फीसद तक कम हो गया है। इसके साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में खाद्य असुरक्षा का संकट गहराता जा रहा है। इतना ही नहीं यूएन ने कहा है कि बाढ़ के पानी के कम होने के साथ पानी से होने वाली बीमारियां सबसे बड़ा खतरा बन सकती है। सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूंख्वां में इसका प्रकोप दिखाई दे सकता है।पाकिस्तान के मौजूदा हालातों पर यूएन ने एक ताजा रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि बलूचिस्तान के अधिकतर जिलों में बाढ़ के पानी में गिरावट के साथ तापमान में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। यहां के अधिकतर जिलों में पानी का स्तर कम हुआ है नदियों का जलस्तर भी वापस अपनी स्थिति पर लौट रहा है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के इन तीनों प्रांतों में करीब 70 लाख से अधिक लोगों के सामने खाद्य संकट खड़ा हो सकता है। बाढ़ की शुरुआत में से अब तक इसमें करीब 10 लाख लोग बढ़ गए हैा।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ये स्थिति मार्च 2023 तक जारी रह सकती है। यूएन के इंटीग्रेटिड फूड सिकयोरिटी फेज क्लासिफिकेशन (आईपीसी) के मुताबिक सिंध में बाढ़ का पानी कम होने के बाद भी हालात काफी चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लाखों लोगों को सेनिटेशन की समस्या सामने आ रही है। टैंटों में बने अस्थायी आवास में जरूरत की चीजें उपलब्ध न होने की वजह से भी हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। इन अस्थायी शिविरों में लाखों की संख्या में गर्भवति महिलाएं भी हैं। इनके लिए स्वास्थ्य सेवाओं और जरूरी सुविधाओं का अभाव है।