सत्य को जीने वाला ही भगवान की श्रेणी में होता है इसीलिए सत्य को जियो : लोकमान्य संत अनुपम मुनि

0
237

देहरादून 05 सितंबर। सच्चं खूब भगवं अर्थात सत्य ही भगवान है इसीलिए 10 लक्षण का छटा धर्म है किस संतमुनि भक्त और भगवान को मानने वाले और आत्मा को मानने वाले सत्य का आचरण करना चाहिए सच में जीना चाहिए सच को महसूस करना चाहिए झूठ फरेब का त्याग करना चाहिए झूठ के संस्कार का सदैव सदैव नियम करना चाहिए जो सच पक्ष है उसको महसूस करना चाहिए सत्य से यह पृथ्वी टिकी हुई है सत्य से इस सृष्टि का सृजन है सत्य को साबित करने की आवश्यकता नहीं है सत्य तो साबित है सत्य की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं सत्य जो है जैसा है वैसा ही रहेगा इसीलिए सत्य जीने वालों को हमेशा आस्था सील रहना चाहिए लेकिन वर्तमान में झूठ को भी सत्य बताया जा रहा है झूठ झूठ ही रहता है और सत्य सत्य ही रहता है सच और झूठ को जानने के चार कारण है सत्य और असत्य व्यवहार सत्य और मिश्र सत्य वाणी मन शरीर से प्रकट होता है जब सत्य का मन मन करता है तब वह सत्य मनोयोग हैं जब मन असत्य का मन करता है तब वह असत्य मने योग हैं जब मन व्यवहार से सब पक्ष का चिंतन मनन कर कर करता है तब व्यवहार सत्य मनोयोग हैं जब मन झूठ सच दोनों पर ही चिंतन करता है सब मिश्रा मनोयोग हो जाते हैं इसी प्रकार से सच पक्ष पर बोलने की बात आती है तब हम वाणी का प्रयोग करते हैं जो वाणी सत्य को प्रकट करती है तब वह सत्य वचन योग कहलाता है जब वाणी सत्य के व्यवहार पक्ष को प्रयोग करती हैं तब वह व्यवहार वचन योग कहलाता है जब वाणी झूठ और सच पक्षों को प्रस्तुत करती है तब मिश्र वाणी योग कहलाती इसी प्रकार से शरीर पक्ष से भी सत्य को प्रकट किया जाता है और झूठ को भी प्रकट किया जाता है इसीलिए काया योग साथ औदारिक शरीरयोग मिश्रा औदारिक शरीरयोग वैकिरय कायायोग मिस्र विक्रय काया योग आहारक काया योग आहारक मिश्र काया योग कारणों काया इस प्रकार से सत्य के अनेक प्रारूप हैं इसे महसूस भी किया जाता है इसे समझा जाता है वस्तु के अनंत अनंत पक्षों को जानना समझना यही सत्य का स्वरूप है इसी को महावीर के शब्दों में उत्तम सत्य कहा जाता है श्रेष्ठ सत्य कहा जाता है सत्य का एक पक्ष नहीं है महावीर प्रभु बोलते हैं सत्य का आनंद पक्ष है अनंत पक्ष को अनंत पक्ष महसूस करना होता है अनंत पक्ष से बोलना होता है और अनंत पक्ष से जीना होता है यही उत्तम सत्य है।
सत्य को जीने वाला ही भागवत भगवान की श्रेणी में होता है इसीलिए सत्य को जियो सत्य को पहचानो सत्य को समझो सत्य असीम है इस प्रकार सुंदर विचार लोकमान्य संत जैन स्थानकवासी प्रेमसुख धाम में 16 नेशनल रोड से अपने विचार अभिव्यक्त के किए।