धर्म-कर्मउत्तराखण्ड

ज्ञान ही महा कल्याणकारी हैं:अनुपम मुनि

देहरादून 18जुलाई । चमत्कारी संत समाधि सम्राट गुरु प्रेमसुख जी महाराज की समाधि स्थल श्री प्रेम सुख धाम लक्ष्मण चौक में, स्वेताबार परंपरा के साधुओं की चातुर्मास साधना जारी है, प्रतिदिन प्रातः जैन महा मृत्युंजय मंत्र जाप किया जा रहा है ,उसके पश्चात प्रवचन किए जा रहे हैं जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मलाभ ले रहे हैं,इसी क्रम में आज श्री अनुपम मुनि श्री ने कहा कि सम्यक दर्शन से और सम्यक ज्ञान से जीवन का अंधकार दूर होता है और जीवन प्रकाश मय हो जाता है मन को दिशा मिलती है भावों को दिशा मिलती है विचारों को गतिशीलता प्रदान करती है शरीर को आचरण मिलता है सम्यक ज्ञान से जीवन में हजारों प्रकार के रास्ते खुल जाते हैं इसीलिए ज्ञान ही समाधान का कारण है और अज्ञानता हजारों समस्याओं का कारण है इसीलिए जीवन में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है अध्यात्मिक या भौतिक शिक्षा के लिए दो तरीके से सीखा जा सकता है या ली जा सकती है एक तो भौतिक शिक्षा का आध्यात्मिक ज्ञान गुरु मुखारविंद से सुनकर प्राप्त किया जा सकता है और दूसरा ज्ञान प्राप्त करने का साधन है पुस्तकें पढ़ कर लिख कर बोल कर उसे भी  हासिल किया जा सकता है और उसी से ही आगे रुचि बनती है शिक्षा में कितना आगे बढ़ना है और कितना पढ़ना है और कितना पढ़ाई से आपका गुजारा बढ़िया चल सकता है उसको देखते हुए हैं व्यक्ति अपनी पढ़ाई करता है शिक्षा प्राप्त करता अध्ययन करता है तो जीवन में शिक्षा ज्ञान के लिए दो ही तरीके बहुत अच्छे हैं सुनकर पढ़कर हम ज्ञान को प्राप्त कर सकें और सुने हुए और पढ़े हुए ज्ञान से अपने आप को भी समझ सकते हैं अपने आप को बुराई से बचा सकते हैं आपने अपने अपने आप को पाप से मुक्त कर सकते हैं और आपने आत्मा को भी निर्मल करके सौम्या धन करा सकते हैं और ज्ञान विद्या ऐसी है इसे कोई चुरा नहीं सकता चोर इसे कोई छीन नहीं सकता इसे कोई लूट नहीं सकता इसीलिए हमें अध्ययन सील रहना चाहिए ज्ञान पांच प्रकार का विशेष रूप से महावीर भगवान ने बताया है मन एवं इंद्रियों के सहयोग से होने वाले ज्ञान को मति ज्ञान कहते हैं स्रोत एवं इंद्रियों के सहयोग से होने वाले ज्ञान को श्रुति ज्ञान कहते हैं आत्मक से प्रत्येक से होने वाला लेकिन मर्यादित ज्ञान को अवधि ज्ञान कहते हैं जो पहले स्वर्ग और नरक तक का ज्ञान करता है और मन के हजारों लाखों प्रयासों को जानने वाले ज्ञान को मंत्रियों ज्ञान कहते हैं और यह भी आतंक प्रत्यक्ष होता है संसार के भूत प्रेत भूत वर्तमान और भविष्य के रूप में वस्तु के अनंत पहलू को एक समय में जानना देखना का काम केवल ज्ञान और केवल दर्शन होता है जिसे हम ब्रह्म ज्ञान कहते हैं इस प्रकार ज्ञान के पांच भेद हैं जो हम सबके लिए कल्याणकारी है पूरे संसार के लिए कल्याणकारी अज्ञानता ही संसार विध्वंस की जननी है इसीलिए सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति एवं शो कल्याण एवं पल कल्याण के लिए ज्ञान ही महा कल्याणकारी हैं दिशा देने वाली जीवन मन आत्मा दसों प्राण में प्रकाश भरने वाली होती है।इस अवसर पर विराजमान मुनियों सहित श्री प्रेम सुख धाम के प्रधान श्री मदन जैन, मंत्री संदीप जैन,सहित अनेक गणमान्य और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button